अपडेटेड 16 May 2025 at 15:01 IST
बलूचिस्तान की आजादी की मुहिम में पाकिस्तान के ऐतिहासिक हिंदू मंदिर सुर्खियों में क्यों हैं?
बलूचिस्तान के बीहड़ भूभाग में दो सबसे प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर मौजूद हैं, जिनमें एक हिंगलाज माता मंदिर और दूसरा कटास राज मंदिर है। इस क्षेत्र के दो प्राचीन मंदिर भारत के साथ अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों के कारण नए सिरे से ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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Hindu Temple: देर सवेर सही, लेकिन पाकिस्तान का अलग-अलग टुकड़ों में बंटना तय है। पाकिस्तान भारत के टकराव की स्थिति पैदा करता रहा है, ताकि अंदर के हालातों को छिपाया जा सके। हालांकि इस बार परिदृश्य बदला है और इस बदलते परिदृश्य में पाकिस्तान के भीतर अलग-अलग मुल्कों के बंटवारे होने की कहानी गढ़ी जा रही है। इसमें बलूचिस्तान की आजादी की मुहिम में सबसे अहम है। खैर, पाकिस्तान के बंटवारे की कहानी लिखे जाने के समय दो हिंदू मंदिर चर्चा का हिस्सा हैं।
बलूचिस्तान के बीहड़ भूभाग में सबसे प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर मौजूद हैं, जिनमें एक हिंगलाज माता मंदिर और दूसरा कटास राज मंदिर है। इस क्षेत्र के दो प्राचीन मंदिर भारत के साथ अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों के कारण नए सिरे से ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
बलूचिस्तान में मौजूद हिंगलाज माता मंदिर
बलूचिस्तान के लासबेला जिले में हिंगलाज माता मंदिर मौजूद है और उसे हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। ये हिंगलाज शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, हिंगलाज माता मंदिर बहुत महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि यहीं पर सती का सिर गिरा था। हिंगोल नदी के किनारे और पहाड़ियों से घिरे मंदिर में सिंधी और बलूच हिंदू समुदाय पूजा करते हैं। बताया जाता है कि यहां कुछ मुसलमान भी देवी की पूजा करते हैं और उन्हें नानी पीर कहते हैं। हिंगलाज की यात्रा चुनौतीपूर्ण है, लेकिन आध्यात्मिक रूप से ये महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है।
कटास राज शिव मंदिर
कटास राज शिव मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल में एक ऐतिहासिक स्थल है। भारत-पाकिस्तान तनाव के कारण हिंदुओं के लिए ये लगभग दुर्गम है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इस प्राचीन मंदिर में कटास कुंड के नाम से एक पवित्र झील है। माना जाता है कि ये भगवान शिव के सती होने के शोक के दौरान उनके आंसुओं से बनी। ऐतिहासिक रूप से कटास राज मंदिर हिंदू शिक्षा और दर्शन का एक प्रमुख केंद्र था। माना जाता है कि पांडव अपने निर्वासन के दौरान यहां आए और ये आदि शंकराचार्य की शिक्षाओं से जुड़ा था। हालांकि विभाजन के बाद मंदिर में पूजा कम हो गई, लेकिन ये पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 16 May 2025 at 15:01 IST