अपडेटेड 25 December 2025 at 12:20 IST

खतरे में आ गई मोहम्मद यूनुस की गद्दी? 17 साल बाद तारिक रहमान की बांग्लादेश वापसी, भारत के नजरिए से क्या हैं मायने

तारिक रहमान 17 साल के लंदन निर्वासन के बाद 25 दिसंबर 2025 को बांग्लादेश लौटे। बीएनपी की मजबूती से फरवरी 2026 चुनाव में यूनुस अंतरिम सरकार पर दबाव बढ़ेगा। भारत के लिए यह सकारात्मक है, क्योंकि यूनुस सरकार में पाकिस्तान से नजदीकी और अल्पसंख्यक उत्पीड़न बढ़ा था। बीएनपी सत्ता में आई तो भारत से संतुलित संबंधों की आशंका है।

Tarique Rahman return to Bangladesh after 17 years What does it mean from India perspective
तारिक रहमान और उनके परिवार की बांग्लादेश वापसी | Image: Facebook

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान अपनी पत्नी डॉ. जोबाइदा रहमान और बेटी बैरिस्टर जाइमा रहमान के साथ लंदन से 17 साल के निर्वासन के बाद बांग्लादेश लौट आए। उनकी फ्लाइट बिमान बांग्लादेश एयरलाइंस की थी, जो पहले सिलहट के ओस्मानी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी और फिर ढाका पहुंची।

तारिक रहमान 2008 से लंदन में निर्वासन में रह रहे थे। रहमान ने अपने देश आने के बाद आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर एक तस्वीर पोस्ट की और कैप्शन में लिखा, "6,314 दिनों के बाद बांग्लादेश के आसमान में वापसी!" ढाका में BNP समर्थकों की भारी भीड़ ने उनका स्वागत किया। यह वापसी फरवरी 2026 में होने वाले संसदीय चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है।

2008 में लगे भ्रष्टाचार के आरोप

तारिक रहमान पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बीएनपी के प्रमुख चेहरे हैं। 2008 में जब उन पर भ्रष्टाचार और अन्य आरोप लगे, तो वो लंदन चले गए थे। शेख हसीना सरकार गिरने के बाद अदालतों ने उन्हें इन मामलों में बरी कर दिया, जिससे उनकी वापसी का रास्ता साफ हुआ। बीएनपी चुनावों में मजबूत दावेदार मानी जा रही है और तारिक को अगला प्रधानमंत्री उम्मीदवार माना जा रहा है।

भारत के नजरिए से क्या हैं मायने?

बांग्लादेश की सत्ता से शेख हसीना के हटने के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के कार्यकाल में भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ा है। यूनुस सरकार ने पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ाई हैं, जबकि भारत से दूरी बनाई है। अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमले बढ़े हैं और कट्टरपंथी ताकतें सक्रिय हुई हैं।

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तारिक रहमान ने पहले भारत-विरोधी बयान दिए हैं, लेकिन हाल के संकेत सकारात्मक हैं। उन्होंने कहा है, "न दिल्ली, न इस्लामाबाद, बांग्लादेश पहले।" भारत ने बीएनपी नेतृत्व से बातचीत की है और तारिक रहमान की मां खालिदा जिया की बीमारी पर सहानुभूति जताई है। भारत ने उनके इलाज की भी पेशकश की थी। कयास लगाए जा रहे हैं कि बीएनपी सत्ता में आई तो भारत के साथ संतुलित संबंध रखेगी, क्योंकि पाकिस्तान से भी दूरी बनाए रखने के संकेत हैं।

भारत चाहता है कि बांग्लादेश में स्थिर और लोकतांत्रिक सरकार आए, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और व्यापार के लिए फायदेमंद हो। बीएनपी की जीत से यूनुस सरकार की विदेश नीति में बदलाव आ सकता है, जो भारत के हित में है। तारिक की वापसी से भारत-बांग्लादेश संबंध मधुर होने की संभावना है, खासकर जब जमात-ए-इस्लामी जैसी कट्टर ताकतें मजबूत हो रही हैं।

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क्या खतरे में है मोहम्मद यूनुस की गद्दी?

तारिक रहमान की वापसी से यूनुस की अंतरिम सरकार पर दबाव बढ़ सकता है। यूनुस सरकार चुनाव कराने के लिए बनी है, लेकिन हाल में हिंसा, मीडिया पर हमले और अल्पसंख्यक उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। बीएनपी ने यूनुस पर लंबे समय तक विदेश नीति निर्णय लेने का अधिकार न होने का सवाल उठाया है। बीएनपी चुनावों में मजबूत स्थिति में है। तारिक की वापसी से पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित हैं और लाखों समर्थक सड़कों पर उतरे। अगर बीएनपी जीतती है तो यूनुस सरकार का कार्यकाल जल्द खत्म हो जाएगा।

हालांकि, यूनुस सरकार ने तारिक की वापसी का स्वागत किया और सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की है। चुनाव निष्पक्ष होने चाहिए, तभी स्थिरता आएगी। यह घटनाक्रम बांग्लादेश की राजनीति में नया मोड़ है। भारत शांतिपूर्ण चुनाव और स्थिर पड़ोसी की उम्मीद कर रहा है। आगे के दिन बांग्लादेश की दिशा तय करेंगे।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 25 December 2025 at 11:35 IST