अपडेटेड 12 March 2023 at 13:12 IST

दुनिया का सबसे खतरनाक 'जार बम', रूस की टेस्टिंग में तबाह हो गया था आईलैंड!

रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बम जार बम है, जिसके ब्लास्ट होते ही एक बार में लाखों लोगों की मौत हो सकती है। इस बम को बनाने वाले वैज्ञानिक को बाद में शांति का नोबेल दिया गया।

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Tsar Bomba Story: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) को एक साल से ज्यादा का समय हो गया। लगभग बर्बाद हो चुका यूक्रेन आज भी और रूस के सामने टिका हुआ है। हालांकि रूस के पास ऐसे कई हथियार है, जिसे अभी तक पुतिन ने मैदान में नहीं उतारा है। कहा जाता है कि रूस अगर इन हथियारों को मैदान में उतार दे, तो बस कुछ ही देर में पूरे यूक्रेन उसके कब्जे में होगा। हालांकि अगर ऐसा हुआ, तो यूक्रेन में होने वाली जनहानि किसी से रोके नहीं रुकेगी। लाखों लोगों की मौत हो जाएगी।

रूस ने कई बार युद्ध में परमाणु बम की धमकी दी है। दुनिया के सबसे खतरनाक परमाणु बम का नाम जार बम है। यह बम लाखों लोगों की एक झटके में जान ले सकता है। इस बम की टेस्टिंग में एक पूरा द्वीप तबाह हो गया था।

रूस के पास मौजूद खतरनाक हथियार में सबसे खतरनाक है- जार बम (Tsar Bomba)

जार बम के ब्लास्ट होते ही एक बार में लाखों लोगों की मौत हो सकती है। इसके अलावा जो लोग इस बम के प्रभाव में आएंगे, उन्हें स्किन जैसी बीमारियों को झेलना पड़ सकता है। जार बम को दूसरे विश्व युद्ध के बाद शुरू हुए कोल्ड वॉर के समय बनाया गया था। इस बम का नाम रूस के राजाओं की उपाधि से दी गई है। तत्कालीन सोवियत संघ के एटमी वैज्ञानिक आंद्रेई सखारेव ने 60 के दशक में इस बम को तैयार किया था। यह बम अमेरिका को पछाड़ने के लिए तैयार किया गया।

यह परमाणु बम 8 मीटर लंबा और 2.6 मीटर चौड़ा था। इसका वजन 27 टन से भी ज्यादा था। 30 अक्टूबर 1961 को जब इस एटम बम का परीक्षण किया गया, तब करीब 5 मील चौड़ा आग का गोला उठा था। आग के गोले इतने भयंकर थे कि इन्हें 1000 किलोमीटर दूर से देखा जा सकता था। वही बम के विस्फोट से उठे धुएं का गुब्बार करीब 40 मील ऊंचाई तक गया था। इसने करीब 100 किलोमीटर के इलाके को कवर किया था। इस बम की टेस्टिंग मात्र से ही नोवाया जेमलिया द्वीप तबाह हो गया। हालांकि इसके बाद इस बम की ताकत को घटा दिया गया।

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टेस्टिंग के लिए बनाया गया था स्पेशल लड़ाकू विमान

बताया जाता है कि इस बम को टेस्टिंग के लिए ले जाने से पहले सोवियत संघ ने अपने तुपोलोव-95 लड़ाकू विमानों में काफी बदलाव किए थे। दूसरे शब्दों में कहा जाय, तो इसे फिर से तैयार किया गया था। इस लड़ाकू विमान को खासतौर पर परमाणु सक्षम हमले के लिए ही बनाया गया था।

कहा जाता है कि TU-95 लड़ाकू विमान ने को इस बम को फायर करने के बाद उसकी तस्वीर भी उतारनी थी। ऐसे में उसे बम को गिराने के तुरंत बाद वहां से वापस करीब 50 किलोमीटर दूर भागना था। तय समय के अनुसार, लड़ाकू विमान ने बम को फायर किया और वहां से वापस लौटा। करीब 50 किलोमीटर दूर पहुंचते ही एक भयंकर ब्लास्ट हुआ और तूपोलोव विमान भी गोते खाकर 1000 मीटर नीचे आ गया था। तब जहाज के पायलट ने बताया था कि वह इतना खतरनाक मंजर था कि उस दौरान फाइटर प्लेन को कंट्रोल करना भी काफी मुश्किल हो गया था।

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जार बम बनाने वाले आंद्रे सखारोव को मिला था नोबेल पुरस्कार

सोवियत संघ को हथियारों की रेस में अमेरिका से काफी आगे निकालने की इच्छा रखने वाले तत्कालीन सोवियत वैज्ञानिक आंद्रे सखारोव का जार बम को बनाने में बेहद महत्वपूर्ण रोल था। उन्होंने एटम बम और हाइड्रोजन बम के टेक्नोलॉजी को मिलाकर यह जार बम बनाया था। इस बम की टेस्टिंग के बाद 1963 में ऐसे बमों के परीक्षण पर रोक लगा दिया गया। बाद में सखारोव ने एटमी हथियारों के खिलाफ सबसे बड़ी जंग छेड़ी और उन्होंने एटमी टेस्ट करने वाले 1963 की पाबंदी का खुलकर समर्थन किया। हालांकि इसके बाद उन्हें अपने ही देश में विरोध भी झेलना पड़ा था। 1975 में सखारोव को उनके प्रयासों के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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Published By : Nripendra Singh

पब्लिश्ड 12 March 2023 at 13:10 IST