अपडेटेड 16 June 2025 at 17:59 IST
पाकिस्तान के हमदर्द तुर्किए को अब मिलेगा सबक, छोटे से देश साइप्रस में अचानक PM Modi को क्यों हुई दिलचस्पी?
तुर्किए की पाकिस्तान से दोस्ती और साइप्रस से दुश्मनी, भारत की पाकिस्तान के दुश्मनी और साइप्रस से दोस्ती। पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा ने तुर्किए-पाकिस्तान गठजोड़ के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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PM Modi Cyprus Visit : क्या आपको याद है कि भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर का जवाब देते हुए पाकिस्तान ने तुर्किए के ड्रोन का इस्तेमाल किया था? भारत सरकार ने तब इसपर कोई खास रिएक्शन नहीं दिया था, कोई बयान नहीं, कोई धमकी नहीं। लेकिन 15 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस दौरे पर पहुंच गए। एक ऐसा देश जो तुर्किए से नफरत करता था। एक ऐसा पड़ोसी देश जो तुर्किए से बदला लेना चाहता है।
पीएम मोदी ने साइप्रस का दो दिवसीय दौरा ऐसे समय में किया है जब पश्चिम एशिया में तनाव अपने चरम पर है। यह दौरा पीएम मोदी के 3 देशों की यात्रा का हिस्सा है। साइप्रस के बाद पीएम कनाडा के लिए रवाना हो गए हैं। नरेंद्र मोदी कनाडा में G7 सम्मेलन में शामिल। साइप्रस और तुर्किए के बीच संबंध 1974 से बेहद तनावपूर्ण हैं, जब तुर्किए ने ग्रीक समर्थित तख्तापलट के जवाब में साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर सैन्य आक्रमण कर कब्जा कर लिया।
तुर्किए और साइप्रस में क्या झगड़ा?
तुर्किए ने हमला कर साइप्रस को दो हिस्सों में बांट दिया था। एक दक्षिणी हिस्सा, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त ग्रीक साइप्रस (रिपब्लिक ऑफ साइप्रस) है। दूसरा उत्तरी हिस्सा है, इसे केवल तुर्किए ही मान्यता देता है। तुर्किए ने उत्तरी हिस्से को "तुर्किए गणराज्य उत्तरी साइप्रस" (TRNC) घोषित किया हुआ है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य देश इसे अवैध कब्जा मानते हैं। इस हिस्से में अपना कब्जा जमाए रखने के लिए तुर्किए ने करीब 35,000 सैनिक तैनात किए हैं। इसके अलावा तुर्किए और साइप्रस में झगड़े का दूसरा कारण पूर्वी भूमध्यसागर में गैस संसाधनों को लेकर है।
पीएम मोदी की रणनीतिक यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15-16 जून तक साइप्रस यात्रा पर थे। ये पिछले 23 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा थी। यह यात्रा पूरी तरह से रणनीतिक है। जिसका सीधा असर पाकिस्तान के दोस्त बने तुर्किए पर दिखेगा। भारत को इससे कई रणनीतिक और आर्थिक फायदें होंगे। यह दौरा तुर्किए और पाकिस्तान को कूटनीतिक संदेश था, क्योंकि तुर्किए ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को मदद पहुंचाई थी। कश्मीर के मुद्दे पर भी तुर्किए पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा रहा।
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साइप्रस के साथ भारत की नजदीकी तुर्किए के क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा है। पीएम मोदी के इस दौरे ने व्यापार, प्रौद्योगिकी और पर्यटन क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा दिया। साइप्रस भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (IMEC) का हिस्सा है, जो भारत को यूरोप और मध्य पूर्व से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण परियोजना है। यह व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा। साइप्रस ने पीएम मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III' से सम्मानित किया, जो दोनों देशों की मित्रता का प्रतीक है। ये भारत की 'वसुधैव कुटुंबकम' की विचारधारा को भी मजबूत करता है।
साइप्रस के जरिए तुर्किए के खिलाफ किलेबंदी
भारत की साइप्रस के साथ नजदीकी को तुर्किए के खिलाफ रणनीतिक किलेबंदी के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह केवल एक हिस्सा है। भारत की विदेश नीति तुर्किए और पाकिस्तान के गठजोड़ का जवाब देने के लिए साइप्रस, ग्रीस और आर्मेनिया जैसे देशों के साथ संबंधों को मजबूत कर रही है। साइप्रस के साथ भारत के बढ़ते रिश्ते तुर्किए को कूटनीतिक रूप से कूटने के लिए अहम हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में साइप्रस की संप्रभुता का समर्थन किया है, विशेष रूप से 1974 के तुर्किए आक्रमण के बाद और साइप्रस ने बदले में आतंकवाद और कश्मीर मुद्दे पर भारत का साथ दिया।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 16 June 2025 at 17:59 IST