अपडेटेड 1 September 2025 at 12:23 IST

रूस से तेल ना खरीदने की धमकी, भारत पर 50 फीसदी टैरिफ... PM मोदी-पुतिन की मुलाकात से ट्रंप की क्यों बढ़ेगी टेंशन?

भारत ने अपनी कूटनीति से न सिर्फ अमेरिका की चाल को नाकाम किया, बल्कि अपनी रणनीति से पूरी दुनिया को चौंका दिया। अब ट्रंप की नजरें पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात पर टिकी है।

PM Modi with Russian President Putin
PM Modi with Russian President Putin | Image: Reuters

चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट संपन्न हो गया है। SCO के मंच पर भारत-रूस और चीन के महाशक्तियों का महामिलन हुआ। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात आज, 1 सितंबर 2025 को इस सम्मेलन के इतर होने वाली है। यह वार्ता तियानजिन होटल रिट्ज कार्लटन में होनी वाली है। अमेरिका के साथ जारी टैरिफ वार के बीच PM मोदी और पुतिन की मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी है। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप भी इस मुलाकात पर अपनी नजरें बनाए हुए हैं।


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 50 फीसदी टैरिफ लगाकार भारत को दवाब में लाने की कोशिश की थी, मगर उनकी यह चाल उलटी पड़ गई। ट्रंप भारत पर टैरिफ की चाल चलकर चीन को किनारे करने की कोशिश में लगा था। जिस चीन को अमेरिका भारत के बल पर बैलैंस करने की कोशिश करता था, आज वहीं, चीन पीएम मोदी की स्वागत में बांहे फैलाए खड़ा नजर आया।

टैरिफ वार के बीच पुतिन-मोदी की मुलाकात

भारत ने अपनी कूटनीति से न सिर्फ अमेरिका की चाल को नाकाम किया, बल्कि अपनी रणनीति से पूरी दुनिया को चौंका दिया। ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने का आरोप लगाते हुआ कहा के भारत इस फैसले से यूक्रेनी जंग को हवा दे रहा है। साथ ही, भारत के सामानों पर 50% का भारी-भरकम टैरिफ भी लाद दिया। मगर भारत अमेरिका के किसी भी तरह के दवाब में नहीं आया और अपने फैसले पर अडिग रहा।

एक ही कार में रवाना हुए पुतिन-मोदी

टैरिफ को लेकर भारत और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर हैं। इस बीच पीएम मोदी चीन में रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात करने वाले हैं। पीएम मोदी SCO समिट में हिस्सा लेने क बाद शंघाई से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी 'Aurus' कार में ही द्विपक्षीय वार्ता के लिए रवाना हुए। दोनों नेताओं के बीच तियानजिन के होटल रिट्ज कार्लटन में वार्ता होनी है। इसमें दोनों नेता अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ पहुंचेंगे। 

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अमेरिका की टैरिफ चाल पड़ी उलटी

भारत ने अमेरिका के आरोपों का जवाब देते हुए साफ-साफ कह दिया था कि रूस से उसका कच्चा तेल खरीदना उसकी आर्थिक जरूरतों के हिसाब से होता है। रूस हमेशा भारत को सबसे किफायती दर पर तेल देता है। बता दें कि भारत ही नहीं कई यूरोपीय देश और खुद अमेरिका रूस के साथ अभी भी व्यापार कर रहे हैं, लेकिन ट्रंप ने 50 फीसदी टैरिफ का बोझ सिर्फ भारत को थौपा है। ऐसे में साफ है अमेरिका ने निशाना केवल भारत को बनाया गया है।

मोदी-पुतिन की मुलाकात से ट्रंप टेंशन में

भारत राष्ट्रपति ट्रंप के किसी भी शर्त को स्वीकार करने के बजाय अपने फैसले पर अडिग रहा है। अब चीन में पीएम-मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात हो रही है। इस मुलाकात से दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होने वाले हैं। वहीं, अमेरिका ने चीन पर भी टैरिफ का दवाब बनाकर उसे झुकाने की कोशिश की थी, मगर जिनपिंग ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया। इसके बाद अमेरिका ने चीनी सामानों पर लगने वाले टैरिफ की डेडलाइन को फिर से बढ़ा दिया। अब तीन महाशक्तियों रूस, भारत और चीन की मुलाकात से राष्ट्रपति ट्रंप की टेंशन बढ़ गई है। 
 

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 1 September 2025 at 12:03 IST