अपडेटेड 26 November 2025 at 14:25 IST
नेतन्याहू सरकार कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला, सीधा भारत पर पड़ेगा असर; 5800 भारतीय यहूदी इजरायल को बना सकते हैं अपना घर
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने रविवार को एक अहम निर्णय को मंजूरी दी, जिसके तहत भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों मिजोरम और मणिपुर में बसे बेनी मेनाशे यहूदी समुदाय के सदस्यों को धीरे-धीरे इजरायल लाया जाएगा।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
- 3 min read

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने रविवार को एक अहम निर्णय को मंजूरी दी, जिसके तहत भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों मिजोरम और मणिपुर में बसे बेनी मेनाशे यहूदी समुदाय के सदस्यों को धीरे-धीरे इजरायल लाया जाएगा। योजना के मुताबिक, वर्ष 2030 तक इस समुदाय के करीब 5,800 लोग वहां बस जाएंगे।
इजरायल सरकार ने इन्हें देश के उत्तरी हिस्से, गैलील क्षेत्र में बसाने की मंजूरी दी है। यह इलाका लेबनान की सीमा के पास स्थित है और हिज़्बुल्लाह के साथ जारी संघर्ष के कारण काफी संवेदनशील माना जाता है। पिछले दो वर्षों के दौरान यहां हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं। नेतन्याहू ने इस निर्णय को “राष्ट्रीय आवश्यकता” और “जायोनी मिशन” बताते हुए कहा कि यह कदम उत्तरी इजरायल को सामाजिक और जनसांख्यिक दृष्टि से मजबूती देगा।
पहले चरण में आएंगे 1,200 लोग
योजना के पहले चरण में अगले वर्ष करीब 1,200 लोग इजरायल जाएंगे। इमिग्रेशन मंत्रालय को उनके पुनर्वास और समायोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन्हें वहां आर्थिक सहायता, हिब्रू भाषा की शिक्षा, रोजगार के अवसर और अस्थायी आवास उपलब्ध कराए जाएंगे। इस चरण के लिए सरकार ने लगभग 27 मिलियन डॉलर का बजट स्वीकृत किया है।
Advertisement
रिपोर्टों के अनुसार, अब तक इस समुदाय के करीब 4,000 सदस्य पहले ही इजरायल में बस चुके हैं। नई योजना भारत सरकार के साथ पारस्परिक परामर्श के बाद तैयार की गई है।
जनसंख्या संतुलन की रणनीति
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम केवल धार्मिक या सांस्कृतिक नहीं बल्कि रणनीतिक भी है। फिलिस्तीन के साथ चल रहे संघर्ष और जनसंख्या संतुलन के बदलते समीकरणों के चलते इजरायल ऐसे यहूदी समुदायों को वापस बुलाने में सक्रिय है। वर्तमान में देश की कुल आबादी लगभग 10.1 मिलियन है, जिनमें से लगभग 73 प्रतिशत यहूदी हैं।
Advertisement
कौन हैं बेनी मेनाशे?
बेनी मेनाशे समुदाय खुद को बाइबिल में वर्णित "मनश्शे जनजाति" का वंशज मानता है, जिसे इजरायल के दस खोए हुए कबीलों में से एक माना जाता है। लंबे समय तक इस समुदाय के कई सदस्य ईसाई धर्म का पालन करते रहे, लेकिन बाद में उन्होंने आधिकारिक रूप से यहूदी परंपराएं अपनाईं और इजरायल के मुख्य रब्बी ने उनकी पहचान को मान्यता दी।
इनके बीच सुकोट जैसे यहूदी त्योहार मनाने और स्थानीय सिनेगॉग बनाने की परंपरा भी है। वर्ष 2005 के बाद ही इजरायल ने इनके आव्रजन को औपचारिक रूप से स्वीकृति दी थी। अब दो दशकों बाद सरकार इस प्रक्रिया को दोबारा तेज कर रही है।
गैलील में नया अध्याय
इजरायल में इन परिवारों को गैलील नामक पर्वतीय इलाके में बसाया जाएगा, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। नाजरेथ, तिबेरियास और सफ़ेद जैसे शहर इसी क्षेत्र में स्थित हैं। उत्तर में लेबनान और पूर्व में जॉर्डन घाटी तथा गैलिली सागर इसकी सीमाओं से लगे हैं।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 26 November 2025 at 14:25 IST