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Camlin

पब्लिश्ड 19:16 IST, January 28th 2025

चीन ने विदेश सचिव मिसरी के साथ वार्ता में संबंधों को स्थिर तरीके से आगे बढ़ाने पर जोर दिया

चीन ने विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ हाल में संपन्न वार्ता में कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने पर सहमति बनने का उल्लेख किया।

Vikram Misri Takes Charge as New Foreign Secretary from July 15
भारत के विदश सचिव विक्रम मिसरी | Image: X@MEAIndia

चीन ने विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ हाल में संपन्न वार्ता में कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने पर सहमति बनने का उल्लेख करते हुए कहा कि उसने मतभेदों के उचित समाधान और दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।

दो दिवसीय यात्रा पर रविवार को यहां पहुंचे विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने दोनों देशों के संबंधों में स्थिरता और उसके पुनर्निर्माण के लिए सोमवार को चीनी विदेश उप मंत्री सुन वेइदोंग के साथ बातचीत की। पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण भारत और चीन के संबंधों में भी गतिरोध उत्पन्न हो गया था।

मिसरी बीजिंग में भारत के राजदूत जबकि सुन भारत में चीन के राजदूत रह चुके हैं।

विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा था कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की व्यापक समीक्षा की और ‘‘संबंधों में स्थिरता और पुनर्निर्माण’’ करने के लिए कुछ जन-केंद्रित कदम उठाने पर सहमति जतायी।

चीनी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को मंदारिन भाषा में जारी एक बयान में कहा कि वार्ता का जोर पिछले वर्ष ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान कजान में बैठक में चीन और भारत के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति के क्रियान्वयन को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहा तथा इसमें चीन-भारत संबंधों में सुधार लाने और विकसित करने के उपायों पर चर्चा की गई।

बयान में वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति पर प्रकाश डाला गया, जिसमें दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें पुनः शुरू करना, भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा की फिर से शुरुआत करने और सीमा पार नदियों से संबंधित जल विज्ञान संबंधी आंकड़े साझा करने के प्रावधान को पुनः शुरू करने पर चर्चा करने के लिए भारत-चीन विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र की बैठक शामिल है।

बयान में कहा गया है कि वार्ता में चीन ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों को चीन, भारत के आधारभूत हितों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना चाहिए तथा दोनों देशों के संबंधों की रणनीतिक उच्चता और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य का पालन करना चाहिए।

बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों को स्पष्ट और रचनात्मक दृष्टिकोण के साथ संवाद, आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना चाहिए, जनमत को सकारात्मक रूप से निर्देशित करना चाहिए, विश्वास बढ़ाना चाहिए और गलतफहमी को दूर करना चाहिए, मतभेदों का उचित समाधान निकालना चाहिए और संबंधों को सही दिशा आगे बढ़ाना चाहिए।

इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने आपसी चिंता के मुद्दों पर खुलकर और गहराई से विचार-विमर्श किया।

दोनों पक्षों के बीच बनी आम सहमति का उल्लेख करते हुए बयान में कहा गया है कि भारत ने इस वर्ष शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अध्यक्ष के रूप में चीन के काम का पूरा समर्थन करने की इच्छा जतायी और कहा कि वह संगठन के ढांचे के तहत बीजिंग द्वारा आयोजित विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेगा।

बयान में कहा गया है कि साथ ही, दोनों पक्षों ने सभी स्तरों पर सक्रिय बातचीत करने, रणनीतिक संचार को मजबूत करने और राजनीतिक परस्पर विश्वास को बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अवसरों का उपयोग करने पर सहमति जतायी।

बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने इस वर्ष चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ को संयुक्त रूप से मनाने और मीडिया एवं थिंक टैंक आदान प्रदान, ‘ट्रैक टू डायलॉग’ और अन्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर सहमति जतायी।

बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने और दोनों देशों के बीच कर्मियों और पत्रकारों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए उपाय करने पर भी सहमति जतायी।

मीडिया आदान-प्रदान के लिए दोनों पक्षों के बीच सहमति से दो साल के व्यवधान के बाद दोनों देशों के पत्रकारों के लिए अपने ब्यूरो फिर से खोलने को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं।

वर्तमान में, चीन केवल ‘पीटीआई ब्यूरो’ को बीजिंग से काम करने की अनुमति देता है।

बयान में कहा गया है कि साथ ही, दोनों पक्ष इस वर्ष चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों की तीर्थयात्रा को फिर से शुरू करने को बढ़ावा देने पर सहमत हुए। इसके लिए प्रासंगिक व्यवस्थाओं पर जल्द से जल्द बातचीत की जाएगी।

बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष सीमा पार नदी सहयोग जारी रखने और जल्द से जल्द विशेषज्ञ तंत्र बैठकों का एक नया दौर आयोजित करके संचार बनाए रखने के लिए भी सहमत हुए।

भारत और चीन ने सीमा पार नदियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 2006 में विशेषज्ञ स्तर तंत्र (ईएलएम) की स्थापना की थी, जिसके तहत चीन भारत को बाढ़ के मौसम के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी और सतलुज नदी पर जल विज्ञान संबंधी जानकारी प्रदान करता है।

भारत ने ब्रह्मपुत्र पर दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बनाने के चीन के फैसले पर चिंता व्यक्त की है, जिसे स्थानीय रूप से तिब्बत में यारलुंग जांगबो के रूप में भी जाना जाता है।

मिसरी ने अपनी यात्रा के दौरान, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय विभाग के मंत्री लियू जियानचाओ से मुलाकात की।

अपडेटेड 19:16 IST, January 28th 2025