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Published 23:44 IST, September 25th 2024

Ballistic Missile: चीन ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का किया टेस्ट, US तक मचा सकता है तबाही

चीन ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इस मिसाइल की रेंज अमेरिका तक है। ड्रैगन के इस मिसाइल टेस्टिंग से अमेरिका की टेंशन बढ़ सकती है।

Chinese President Xi Jinping
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग | Image: AP

चीन ने 25 सितंबर, बुधवार को इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का परीक्षण किया है। चीन का ICBM परीक्षण सफल रहा है। 1980 के बाद यानि कि 44 साल बाद प्रशांत महासागर में चीन ने इस बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। 25 सितंबर की सुबह 8 बजकर 44 मिनट पर चीन ने इस मिसाइल को लॉन्च किया।

चीन के रक्षा मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार मिसाइल को जब लॉन्च किया गया तो उसके बाद ये ठीक उसी जगह जाकर गिरी, जिस जगह पर इसके गिरने की उम्मीद की गई थी। हालांकि, चीन ने इस मिसाइल को कहां से लॉन्च किया, इसकी किसी भी तरह की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है।

पड़ोसी देशों को दी गई थी टेस्टिंग की जानकारी

चीन ने मिसाइल टेस्टिंग के बाद कहा कि इसने अपने पड़ोसी देशों को इस परीक्षण की जानकारी दी थी। यह परीक्षण किसी एक देश को लक्षित करके नहीं किया गया है। हालांकि, जापान ने इस बात से इनकार किया है कि चीन ने परीक्षण से पहले लॉन्चिंग की जानकारी दी थी। चीन इस वक्त जापान, फिलिपींस और ताइवान के साथ तनाव में है। ऐसे में इस टेस्टिंग को बेहद अहम माना जा रहा है।

अमेरिका तक है चीन के इस नए मिसाइल की रेंज

हालांकि, मिसाइल को लेकर ज्यादा जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन कहा जा रहा है कि इस बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज अमेरिका तक है। चीन इस मिसाइल के जरिए अमेरिका तक तबाही मचा सकता है। 

प्रशांत महासागर में ही क्यों किया परीक्षण?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन द्वारा अपनी मिसाइल के परीक्षण के लिए प्रशांत महासागर को चुनना उसकी बढ़ी हुई परमाणु क्षमताओं का प्रदर्शन है। इसके साथ ही ये टेस्टिंग अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए चेतावनी भी है। लंदन में SOAS चाइना इंस्टीट्यूट के निदेशक स्टीव त्सांग ने कहा, "कोई अन्य संभावित दर्शक नहीं है, क्योंकि चीन को यूरोपीय संघ या ब्रिटेन के साथ सैन्य रूप से टकराव की उम्मीद नहीं है।"

2030 तक 1 हजार न्यूक्लियर वॉरहेड होगा चीन के पास

मई 2023 में एक रिपोर्ट सामने आई थी, इस रिपोर्ट में सामने आए आंकड़ों के अनुसार चीन के पास साल 2030 तक एक हजार न्यूक्लियर वॉरहेड हो सकते हैं। फिलहाल चीन के पास 500 न्यूक्लियर वॉरहेड है। इससे पहली ड्रैगन ने अगस्त 2021 में न्यूक्लियर क्षमता वाली हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था। हालांकि, ये सफल नहीं हो पाया था। दरअसल, इस मिसाइल को जब लॉन्च किया गया तो अपने टारगेट पर जाकर नहीं गिरी, बल्कि अपने लक्ष्य से करीब 32 किमी दूर गिरी थी।

भले ही मिसाइल का परीक्षण फेल हो गया हो, लेकिन फिर भी इसने अमेरिका की टेंशन बढ़ा दी थी। दरअसल, 2021 में जिस मिसाइल का चीन ने परीक्षण किया था, वो हाइपरसोनिक थी, यही कारण था कि अमेरिका का मिसाइल डिफेंस सिस्टम ड्रैगन के इस मिसाइल को डिटेक्ट नहीं कर पाया था।

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Updated 23:44 IST, September 25th 2024