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Published 17:25 IST, October 6th 2024

चूना पत्थर और लोहे पर रिसर्च: ऑस्ट्रेलिया में एक लाख साल पहले हुई बारिश के प्रभाव का खुलासा

पृथ्वी की सतह का लगभग छठा हिस्सा कुछ इस तरह की स्थलाकृति से ढका हुआ है, जिससे आप सब अपरिचित हो सकते हैं और वह चूना पत्थर से बना क्षेत्र है।

Research on limestone, iron reveals
चूना पत्थर, लोहे पर शोध | Image: theconversation.com

पृथ्वी की सतह का लगभग छठा हिस्सा कुछ इस तरह की स्थलाकृति से ढका हुआ है, जिससे आप सब अपरिचित हो सकते हैं और वह चूना पत्थर से बना क्षेत्र है। यह प्राकृतिक मूर्तिकला पार्कों की तरह हैं, जिनमें हज़ारों वर्षों में पानी के प्रभाव के कारण काफी लंबे समय में बनी गुफाएं और भूभाग शामिल हैं।

कार्स्ट (चूना पत्थर की स्थलाकृति) वाले क्षेत्र सुंदर और पारिस्थितिकी रूप से महत्वपूर्ण हैं। वे पृथ्वी के अतीत के तापमान और नमी के स्तर का रिकॉर्ड भी बताते हैं। हालांकि, यह पता लगाना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है कि कार्स्ट असल में कब बने। साइंस एडवांस में आज प्रकाशित हमारे नए अध्ययन में, हम इन रहस्यमय स्थलाकृतियों की प्राचीनता का पता लगाने का एक नया तरीका प्रदर्शित कर रहे हैं, जो हमें हमारे ग्रह के अतीत को और अधिक विस्तार से समझने में मदद करेगा।

चुनौतियां -

कार्स्ट को पदार्थ के अपरदन द्वारा परिभाषित किया जाता है। आज हम जो बड़ी-बड़ी चट्टानें और गुफाएं देखते हैं, वे अतीत की वर्षाकालीन अवधि के दौरान पानी में घुलने के बाद बची रह गई हैं। यही कारण है कि उनकी आयु निर्धारित करना कठिन है। आप किसी चीज़ के गायब होने की तिथि कैसे निर्धारित करते हैं। 

परंपरागत रूप से, वैज्ञानिकों ने ऊपर और नीचे के पदार्थ की तिथि निर्धारित कर कार्स्ट सतह की आयु को निर्धारित किया है। भूविज्ञान संबंधी घड़ियां - हमारे अध्ययन में, हमने कंकड़ के आकार के लोहे के पिंडों की आयु का पता लगाने का एक तरीका खोजा, जो कार्स्ट स्थलाकृति के समय बने थे।

हमने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के नम्बुंग नेशनल पार्क में पिनाकल्स रेगिस्तान से लोहे से भरपूर पिंडों के सूक्ष्म कणों की तिथि का निर्धारण किया। यह स्थान रेतीले रेगिस्तानी मैदान से कई मीटर ऊंचे चूना पत्थर के खंभों से निर्मित अलौकिक कार्स्ट स्थलाकृति के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

वर्षा की लंबी अवधि-

हमने लगातार पाया कि लोहे के पिंडों की वृद्धि की आयु लगभग 1,00,000 वर्ष है। जब रासायनिक प्रतिक्रियाओं ने प्राचीन मिट्टी के भीतर लोहे से भरपूर पिंडों की वृद्धि की, उसी समय चूना पत्थर का चट्टान तेजी से और बड़े पैमाने पर पानी में घुल गया और चूना पत्थर के शिखर ही बचे रह गए।

हमें नहीं पता कि अत्यधिक वर्षा का कारण क्या था। यह वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न में परिवर्तन हो सकता है, या समुद्र तट के साथ बहने वाली प्राचीन लीउविन धारा का अधिक प्रभाव हो सकता है।

हमारे अतीत के लिए निहितार्थ- लोहा से भरपूर पिंड केवल नम्बुंग पिनाकल्स तक ही सीमित नहीं हैं। हाल में ऑस्ट्रेलिया में अन्य जगहों पर, अतीत के पर्यावरणीय परिवर्तन का पता लगाने के लिये इनका उपयोग किया गया है।

इन लौह पिंडों की तिथि निर्धारित करने से पिछले 30 लाख सालों में पृथ्वी की जलवायु में नाटकीय उतार-चढ़ाव को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी, क्योंकि बर्फ की चादरें बढ़ी और सिकुड़ी हैं। जलवायु परिवर्तन एवं उसके परिणामस्वरूप होने वाले पर्यावरणीय बदलाव पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने में महत्वपूर्ण रहे हैं। विशेष रूप से, इनका मानव के पूर्वजों पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

कार्स्ट के निर्माण को विशिष्ट जलवायु अंतरालों से जोड़कर, हम बेहतर ढंग से समझ सकते हैं कि इन पर्यावरणीय परिवर्तनों ने प्रारंभिक मानव आबादी को कैसे प्रभावित किया होगा। भविष्य की ओर देखते हुए-

जितना अधिक हम उन परिस्थितियों के बारे में जानेंगे जिनके कारण अतीत की स्थलाकृतियों का निर्माण हुआ और उनमें रहने वाले वनस्पतियों एवं जीवों का विकास हुआ, उतना ही बेहतर हम आज के पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने वाले विकास प्रक्रिया को समझ सकेंगे।

जैसे-जैसे मानवीय गतिविधियों के कारण जलवायु परिवर्तन बढ़ रहा है, अतीत की जलवायु परिवर्तनशीलता और जीवमंडल प्रतिक्रियाओं के बारे में सीखना हमें भविष्य के प्रभावों का अनुमान लगाने और उन्हें कम करने के लिए ज्ञान प्रदान करता है।

अधिक सटीकता के साथ कार्स्ट विशेषताओं की तारीख निर्धारित करने की क्षमता एक छोटी सी बात लग सकती है - लेकिन वह हमें यह समझने में मदद करेगी कि आज की स्थलाकृति और पारिस्थितिकी तंत्र मौजूदा एवं भविष्य के जलवायु परिवर्तनों पर कैसी प्रतिक्रिया कर सकते हैं

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 17:25 IST, October 6th 2024