अपडेटेड 4 November 2025 at 07:46 IST

पाकिस्तान में संवैधानिक उथल-पुथल, फील्ड मार्शल असीम मुनीर को बचाने के लिए शहबाज शरीफ ला रहे संविधान का 27वां संशोधन!

शहबाज शरीफ की सरकार 27वें संवैधानिक संशोधन को मंजूरी दिलाने की कवायद में जुट गई है। बिलावल भुट्टो ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसकी पुष्टि की है।

shahabaz sharif wants to bring 27th amendment of constitution to make field marshal Asim Munir position forever
फील्ड मार्शल असीम मुनीर को बचाने के लिए शहबाज शरीफ ला रहे संविधान का 27वां संशोधन! | Image: AP

Pakistan News : पाकिस्तान की राजनीतिक गलियारों में इन दिनों एक नया विवाद जोर पकड़ रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार 27वें संवैधानिक संशोधन को मंजूरी दिलाने की कवायद में जुट गई है। यह संशोधन न केवल न्यायिक और प्रशासनिक सुधारों को लेकर है, बल्कि सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हाल ही में मिले फील्ड मार्शल रैंक को संवैधानिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

शहबाज शरीफ की इस कवायद को विपक्षी दलों ने 'अचानक साजिश' करार देते हुए कड़ी आलोचना की है, जबकि सत्ताधारी खेमे का दावा है कि यह लोकतंत्र को मजबूत करने वाला कदम है। पाकिस्तान के संविधान में फील्ड मार्शल पद का कोई औपचारिक उल्लेख नहीं है, लेकिन मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिनों की तनावपूर्ण स्थिति के बाद असीम मुनीर को इस सर्वोच्च सैन्य रैंक से नवाजा गया था। अब 27वें संशोधन के जरिए इस पद की शक्तियों, कार्यकाल और सुरक्षा को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की योजना है।

इस संशोधन में क्या है?

इस संशोधन से असीम मुनीर को लंबा और राजनीतिक-कानूनी चुनौतियों से मुक्त कार्यकाल मिल सकेगा। इस संशोधन के अन्य प्रमुख प्रावधानों में संवैधानिक अदालत की स्थापना, कार्यकारी मजिस्ट्रेटों की बहाली, जजों के ट्रांसफर की प्रक्रिया, राष्ट्रीय वित्त आयोग (NFC) में प्रांतीय हिस्सेदारी की सुरक्षा हटाना, अनुच्छेद 243 में संशोधन (जो सशस्त्र बलों की कमांड संरचना से जुड़ा है), शिक्षा और जनसंख्या नियोजन जैसे विषय शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अनुच्छेद 243 का संशोधन विशेष रूप से मुनीर की स्थिति को मजबूत करने के लिए है, क्योंकि यह सेना की कमांड संरचना को प्रभावित करता है।

PPP के साथ गुप्त बैठकें

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस संशोधन को पारित करने के लिए गठबंधन सहयोगी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के नेताओं से सीधा संपर्क साधा। शहबाज के नेतृत्व में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) का एक प्रतिनिधिमंडल PPP अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मिला। इस बैठक में संशोधन के लिए PPP का समर्थन मांगा गया।

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बिलावल भुट्टो ने 3 नवंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के जरिए इसकी पुष्टि की। उन्होंने लिखा, "PML-N प्रतिनिधिमंडल ने PPP से 27वें संशोधन के लिए समर्थन मांगा। प्रस्ताव में संवैधानिक अदालत, कार्यकारी मजिस्ट्रेट, जजों का ट्रांसफर, NFC में प्रांतीय हिस्सेदारी की सुरक्षा हटाना, अनुच्छेद 243 में संशोधन, शिक्षा और जनसंख्या नियोजन को संघीय स्तर पर लौटाना है। PPP की CEC बैठक 6 नवंबर को राष्ट्रपति के दोहा से लौटने पर पार्टी नीति तय करेगी।"

विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया

PPP की इस बैठक ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, क्योंकि PPP का समर्थन संशोधन को संसद में आसानी से पारित कराने में निर्णायक साबित हो सकता है। वहीं, विपक्षी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने इस संशोधन को सिरे से खारिज कर दिया है। PTI सीनेटर अली जफर ने इसे 'अचानक और गुप्त साजिश' बताते हुए कहा कि सरकार ने पहले इसकी कोई चर्चा नहीं की थी और अब झूठे बयानों से मामला छिपाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह संशोधन लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करेगा।

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दूसरी ओर, प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने इसे बेवजह का तूफान करार दिया। उन्होंने कहा, "इस संशोधन से लोकतंत्र या राजनीतिक व्यवस्था को कोई खतरा नहीं है। अंतिम मसौदा सभी की सहमति से ही पेश किया जाएगा।" सनाउल्लाह ने आशंका जताई कि विपक्ष इसे राजनीतिक लाभ के लिए प्रचारित कर रहा है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 4 November 2025 at 07:46 IST