अपडेटेड 8 November 2025 at 10:26 IST

'इतिहास पढ़ो, युद्ध की चुनौती मत दो...' अफगानिस्तान के मंत्री ने पाकिस्तान को दी सलाह, कहा- पूरी दुनिया को पता है 1971 में भारत ने कैसे मारा

अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा तनाव चरम पर। अफगान मंत्री नूरुल्लाह नूरी ने पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को चेताते हुए कहा, 'इतिहास पढ़ो, अफगानों का धैर्य न आजमाओ। युद्ध छिड़ा तो बुजुर्ग-युवा दोनों लड़ेंगे।' इस्तांबुल में तीसरी वार्ता बेनतीजा रही, पाक लिखित समझौते पर अड़ा है और अफगान मौखिक पर।

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अफगानिस्तान मंत्री की पाकिस्तान को चेतावनी | Image: Video Grab

Pakistan Afghanistan Conflict : अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव ने दोनों देशों के रिश्तों को कड़वा बना दिया है। तालिबान शासन वाले अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी जारी की है। इस्तांबुल में हुई तीसरे दौर की शांति वार्ता बेनतीजा रही, जिससे दोनों पक्षों के बीच डेडलॉक की स्थिति पैदा हो गई है। इस बीच, अफगानिस्तान के जनजाति, सीमा और जनजातीय मामलों के मंत्री नूरुल्लाह नूरी ने पाकिस्तान को इतिहास की किताबें खोलने और अफगानों के धैर्य की परीक्षा न लेने की सलाह दी है।

अफगानिस्तान के मंत्री नूरुल्लाह नूरी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को सीधा निशाना बनाया। उन्होंने कहा, "मैं ख्वाजा आसिफ से कहता हूं कि रूस और अमेरिका भौगोलिक रूप से बहुत दूर हैं, लेकिन पंजाब प्रांत और सिंध अफगानिस्तान के बिल्कुल पास हैं।" नूरी ने पाकिस्तान को अपनी तकनीकी क्षमताओं पर अंधाधुंध भरोसा न करने की हिदायत दी। उन्होंने जोर देकर कहा, "सिर्फ अपनी वर्तमान क्षमताओं के आधार पर फैसले न लें। अफगान लोगों के धैर्य की परीक्षा न लें। पहले इतिहास पढ़ें, फिर फैसला लें।"

'पाकिस्तान का इतिहास दुनिया को मालूम'

नूरी ने पाकिस्तान को उसके अतीत की याद दिलाते हुए कहा कि भारत और बांग्लादेश के खिलाफ पाकिस्तान का इतिहास दुनिया को मालूम है, ठीक वैसे ही जैसे रूस और अमेरिका के खिलाफ अफगानिस्तान का। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, "अगर अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ता है, तो अफगानिस्तान के बुजुर्ग और युवा दोनों ही लड़ने के लिए उठ खड़े होंगे।" यह बयान सीमा पर हाल की घातक झड़पों के बाद आया है, जहां दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हमले का आरोप लगाया था।

इतिहास गवाह है कि अफगानिस्तान ने ब्रिटिश, सोवियत और अमेरिकी ताकतों का डटकर मुकाबला किया है, जबकि पाकिस्तान को 1971 में बांग्लादेश के रूप में बड़ा झटका लगा था।

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शांति वार्ता विफल

पिछले महीने सीमा पर हुई हिंसक झड़पों के बाद तनाव कम करने के लिए तुर्किए और कतर की मध्यस्थता में इस्तांबुल में तीसरे दौर की वार्ता शुरू हुई थी। बुधवार को दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल इस्तांबुल पहुंचे, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मीडिया को बताया, "इस वक्त पूरी तरह डेडलॉक है। चौथे राउंड का ना कोई प्रोग्राम है, ना कोई उम्मीद।" उन्होंने मध्यस्थों के प्रयासों की सराहना तो की, लेकिन कहा कि अफगान प्रतिनिधिमंडल लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं था।

आसिफ ने स्पष्ट किया, "पाकिस्तान केवल एक औपचारिक, लिखित समझौते को ही स्वीकार करेगा। वे मौखिक आश्वासन पर जोर दे रहे थे, जो अंतर्राष्ट्रीय वार्ता में संभव नहीं।" उन्होंने कहा कि मध्यस्थों ने पूरी कोशिश की, लेकिन बाद में उम्मीद खो दी। "हमारा खाली हाथ लौटना दर्शाता है कि उन्होंने भी काबुल से हार मान ली है। हमारी एकमात्र मांग यह है कि अफगानिस्तान यह सुनिश्चित करे कि उसकी धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान पर हमलों के लिए न हो। अगर उकसाया गया, तो हम जवाबी कार्रवाई करेंगे। जब तक कोई आक्रमण नहीं होगा, युद्धविराम बरकरार रहेगा।"

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अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच वार्ता का यह तीसरा दौर था। इससे पहले, 25 अक्टूबर को इस्तांबुल में ही दूसरा दौर हुआ था, जो सीमा पार आतंकवाद की चिंताओं पर अफगानिस्तान के इनकार के कारण विफल रहा।

क्या है पूरा विवाद?

दोनों देशों के बीच यह तनाव मुख्य रूप से डूरंड रेखा (Durand Line) को लेकर है। ये दोनों देशों के बीच विवादित सीमा है। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान मिट्टी का इस्तेमाल आतंकी हमलों के लिए हो रहा है, जबकि अफगानिस्तान इसे पाकिस्तान की आक्रामकता का नतीजा बताता है। 

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 8 November 2025 at 10:26 IST