अपडेटेड 17 November 2025 at 18:29 IST
शेख हसीना को फांसी की सजा के ऐलान के बाद ICT की बढ़ाई सुरक्षा, फैसले से पहले बांग्लादेश में हुई थी भीषण हिंसा
बांग्लादेश की ICT अदालत ने पूर्व पीएम शेख हसीना को छात्र आंदोलन पर दमन के लिए फांसी की सजा सुनाई है। इसके बाद सजा सुनाने वाली इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल की सुरक्षा बढ़ा दी गई है क्योंकि, देश में कई जगह हिंसा की खबरें सामने आई थी। अब फैसले के बाद दोबारा हिंसा ना हो इसलिए एहतियात के दौर पर ऐसा किया गया है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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Sheikh Hasina death sentence: बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल-1 (ICT) ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता-विरोधी अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई। जिसके बाद इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। क्योंकि बांग्लादेश में कई जगह हिंसा की खबरें सामने आ रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौत का फैसला 400 पन्नों में है और 6 हिस्सों में बंटा हुआ है। इस फैसले को ढाका में बड़े स्क्रीन पर लाइव दिखाया जा रहा है। इसके अलावा इसे फेसबुक पर भी LIVE देखा जा रहा है। इसलिए इस वक्त बांग्लादेश में जबर्दस्त टेंशन है। वहीं, मोहम्मद यूनुस की सरकार ने इस दौरान हिंसा, आगजनी करने वालों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है।
भावुक होकर क्या बोलीं शेख हसीना….?
फिलहाल बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी को बैन कर दिया है और उनकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ सकती है। इस बीच शेख हसीना ने एक भावुक ऑडियो मैसेज दिया है। शेख हसीना ने कहा- 'अन्याय करने वालों को एक दिन बंगाल की धरती पर जनता सजा देगी। इसलिए मैं सबको बता दूं कि डरने की कोई बात नहीं है। मैं जिंदा हूं। मैं जिंदा रहूंगी। मैं देश की जनता का साथ दूंगी. और अगर इंशाअल्लाह इन अपराधियों को बंगाल की धरती पर सजा दूंगी।'
शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने भी एक दिन पहले कल (रविवार, 16 नवंबर) को कहा कि, 'अगर उनकी पार्टी पर बैन नहीं हटाया गया, तो उनकी पार्टी अवामी लीग के समर्थक फरवरी में होने वाले राष्ट्रीय चुनाव में बाधा डालेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि विरोध प्रदर्शन हिंसा में बदल सकता है।
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1400 से ज्यादा लोगों की गई थी जान…
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 15 जुलाई से लेकर 5 अगस्त, 2024 के बीच बांग्लादेश में हुए विरोध प्रदर्शनों में 1,400 से ज्यादा लोग मारे गए थे और हजारों लोग घायल हुए थे। इनमें से ज्यादातर लोग सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए, जो 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद से बांग्लादेश में सबसे भीषण हिंसा थी।
तख्तापलट के बाद भारत आ गईं थीं हसीना
5 अगस्त 2024 को तख्तापलट के बाद शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमान ने देश छोड़ दिया था। दोनों नेता पिछले 15 महीने से भारत में रह रहे हैं। फैसले के बाद भारत सरकार से शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंपने की मांग की है। पीएम ऑफिस ने बयान जारी कर कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच जो प्रत्यर्पण संधि है, उसके मुताबिक यह भारत की जिम्मेदारी बनती है कि वह पूर्व बांग्लादेशी पीएम को हमारे हवाले करे।
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हसीना को मौत की सजा सुनाने वाले इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल की स्थापना खुद हसीना ने ही की थी। इसे 2010 में बनाया गया था। इस कोर्ट को 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान हुए वॉर क्राइम्स और नरसंहार जैसे मामलों की जांच और सजा के लिए बनाया गया था। हालांकि इस ट्रिब्यूनल को बनाने के लिए 1973 में ही कानून बना दिया गया था, लेकिन दशकों तक प्रक्रिया रुकी रही।
ICT: हसीना ने बनाया क्या है?
बांग्लादेश का इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) का पुनर्गठन करीब 15 साल पहले किया गया था। इसका मकसद 1971 के पाकिस्तान से बंटवारे के दौरान हुए युद्ध अपराधों की जांच था। इस अदालत ने कई बड़े नेताओं को सजा दी, लेकिन कई बार इसे सत्ता का राजनीतिक हथियार बनाने का आरोप भी लगा। आज उसी ICT ने हसीना के खिलाफ फैसला लिया है।
हसीना पर कई मुकदमे चल रहे हैं। उन पर विपक्षी नेताओं को गायब करने, नरसंहार कराने और पिछले साल छात्र आरक्षण आंदोलन पर हिंसा का इल्जाम है। ये सब उसी ट्रिब्यूनल में चल रहा है, जिसे हसीना ने बनवाया। दरअसल, 1971 की हिंसा के बाद हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान ने अपराधियों को सजा देने का वादा किया था। हसीना ने 2009 में इसे अमल में लाया। ICT एक्ट तो 1973 में ही बना था, लेकिन असल एजेंसी हसीना के समय बनी।
कितना ताकतवर है ICT का फैसला?
ICT संसद के कानून से बनी है, इसलिए इसके फैसले फौरन लागू होते हैं। पुलिस को तुरंत गिरफ्तारी या कार्रवाई करनी पड़ती है। यह किसी मंत्री, सांसद या पूर्व पीएम को भी सजा दे सकती है।
पूर्व PM हसीना के पास अब क्या रास्ता बचा?
फिलहाल हसीना के पास अपील का रास्ता बचा है, सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन चूंकि ICT खुद एक पूरी अदालत जैसा है, इसलिए अपील से ज्यादा फायदा नहीं मिल सकता।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 17 November 2025 at 18:29 IST