अपडेटेड 18 May 2025 at 10:28 IST
1924 में बने तुर्किए के नेशनल बैंक ISbank की कहानी, लगा भारत के मुसलमानों का धन; आज कैसे एहसान भूल गए अर्दोआन
ISBank आधिकारिक तौर पर तुर्किए में एक वाणिज्यिक बैंक है। 1924 में मुस्तफा कमाल अतातुर्क के आदेश इसकी स्थापना हुई और ये तुर्किए गणराज्य में परिचालन में आने वाला पहला बैंक है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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India-Turkey: एहसान फरामोश तुर्किए आज भारत का आंख दिखाता है। हालिया पाकिस्तान और भारत के तनाव के समय तुर्किए ने अपना ईमान तक आतंकियों वाले मुल्क के लिए बेच दिया। सिर्फ हथियारों के जरिए ही नहीं तुर्किए ने भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान का हर तरीके से समर्थन किया। इससे स्पष्ट हो जाता है कि तुर्किए मुस्लिम देशों के बीच अपना दबदबा बनाने की होड़ में उस भारत के साथ दुश्मनी मोल ले रहा है, जिनसे इसके पैदा होने तक में मदद की। यहां तक कि तुर्किए का सबसे बड़ा बैंक तक भारत की मदद से बना था।
बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे आज के दौर में तुर्किए की गद्दारी पर उसको इतिहास याद दिला रहे हैं। निशिकांत दुबे 'X' पर लिखते हैं- 'तुर्किए के नेता मुस्तफा कमाल पाशा को राष्ट्रीय आंदोलन यानी ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए भारत के मुसलमानों ने 1920 से 1924 तक लगभग 2000 करोड़ दिए। उन्हीं पैसों के बदौलत 1924 में तुर्की का राष्ट्रीय बैंक ISbank बना। सांप को हमने दूध पिलाया, इसलिए काटने की कोशिश कर रहा है।'
1924 में तुर्किए में नए संविधान की घोषणा हुई
निशिकांत दुबे की इस बात को गहराई से समझने की कोशिश करें तो तुर्किए के इतिहास के पता चलता है कि भारत का महत्वपूर्ण सहयोग उसको उसकी आजादी या यूं कहें कि पैदा होने के समय मिला। इसमें दोराय नहीं है कि भारत के पहले तुर्किए को अंग्रेजों से आजादी मिली। 23 अक्टूबर 1923 को तुर्किए के गणतंत्र की घोषणा हुई। कुछ महीनों बाद 20 अप्रैल 1924 को तुर्किए में नए संविधान की घोषणा हुई। तुर्किए के नए गणतंत्र का राष्ट्रपति मुस्तफा कमाल पाशा बने और उन्हीं की मदद के लिए अविभाजित हिंदुस्तान के मुसलमानों ने पूरा सहयोग दिया था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद की अवधि में भारतीय मुसलमानों ने अपना वित्तीय सहयोग देना जारी रखा। इनमें से अधिकांश धन का उपयोग आईएस बैंक की स्थापना के लिए किया गया था, जिसे आज भी तुर्की में परिसंपत्तियों के हिसाब से सबसे बड़ा बैंक माना जाता है।
तुर्किए के नेशनल बैंक ISBank को जानें?
ISBank आधिकारिक तौर पर तुर्किए में एक वाणिज्यिक बैंक है। 1924 में मुस्तफा कमाल अतातुर्क के आदेश इसकी स्थापना हुई और ये तुर्किए गणराज्य में परिचालन में आने वाला पहला बैंक है। जानकारी तलाशने पर पता चला है कि 2023 के अंत की रिपोर्ट आई, जिसमें बताया गया कि बैंक घरेलू स्तर पर 1066 ब्रांच के साथ काम करता है, जो इसे तुर्किए में सबसे बड़े ब्रांच नेटवर्क में से एक बनाता है। ISBank की 11 अलग-अलग देशों में 22 ब्रांच भी हैं। बैंक 2023 तक इस बैंक के 24.3 मिलियन ग्राहक बताए गए।
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बताया जाता है कि इस बैंक की स्थापना में भारतीय मुसलमानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। ये योगदान तुर्किए और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक रहा। ऐसा कहा जाता है कि वर्तमान में इस बैंक में भारतीय निवेशकों की कोई प्रमुख हिस्सेदारी नहीं है। ऐसे ही भारत लगातार तुर्किए की मुसीबत के समय मदद करता रहा है, लेकिन ये मुल्क इन एहसानों को भूलकर पाकिस्तान के पक्ष में आज खड़ा है।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 18 May 2025 at 10:28 IST