sb.scorecardresearch

Published 17:04 IST, August 23rd 2024

बांग्लादेशी नाराज नहीं, आहत हैं: शेख हसीना के भारत में रहने पर शीर्ष बीएनपी नेता ने कहा

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक शीर्ष नेता ने यहां कहा कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में रहने से देश के लोग नाराज नहीं बल्कि आहत हैं।

Sheikh Hasina and Abdul Moyeen Khan
Sheikh Hasina , Abdul Moyeen Khan | Image: AP/PTI

Bangladesh News: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक शीर्ष नेता ने यहां कहा कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में रहने से देश के लोग “नाराज नहीं बल्कि आहत” हैं। बांग्लादेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री अब्दुल मोईन खान ने नयी दिल्ली में राजनेताओं और सुरक्षा रणनीतिकारों से यहां की जमीनी हकीकत को देखते हुए उनकी नीति पर “पुनर्विचार” करने का आग्रह किया। ढाका स्थित अपने आवास पर ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में खान ने कहा कि उनका देश भारत के साथ तीन तरफ से सीमा साझा करता है और यह एक बड़ा पड़ोसी है, इसलिए “कोई कारण नहीं है कि भारत हमारा सबसे अच्छा मित्र न हो”।

अभूतपूर्व सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद पांच अगस्त को हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भाग गईं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के पतन और उनके देश छोड़ने को “विजय दिवस” बताया था। वह 5 अगस्त को भारत पहुंचीं और फिलहाल वहीं रह रही हैं, हालांकि भारत में उनके दो सप्ताह से अधिक समय तक रहने से अटकलों का बाजार गर्म है।

खान ने कहा कि वर्तमान में हालात सामान्य हो रहे हैं। मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार देश में स्थिरता लाने का प्रयास कर रही है और चुनावी सुधार उनकी “सर्वोच्च प्राथमिकता” है। यह पूछे जाने पर कि यदि बांग्लादेश में चुनाव होते हैं तो पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के लिए क्या संभावनाएं हैं, उन्होंने कहा “यदि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होंगे, तो हमारी संभावनाएं जनता द्वारा तय की जाएंगी। और यदि वे चाहते हैं कि हमें बहुमत मिले या नहीं, तो (जो भी फैसला हो) हम उसका सम्मान करेंगे, लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता की इच्छा सर्वोच्च होती है।”

खान (77) बीएनपी की राष्ट्रीय स्थायी समिति के सदस्य भी हैं। बीएनपी की स्थापना 1978 में हुई थी। उन्होंने तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया। खान ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “वर्तमान स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। यह आश्चर्यजनक है कि इतने बड़े उथल-पुथल के बाद देश कैसे वापसी कर रहा है। लोग अपने सामान्य दैनिक जीवन के पटरी पर लौटने की कोशिश कर रहे हैं, (अंतरिम) सरकार सब कुछ सामान्य करने की कोशिश कर रही है, और वे अपने मुख्य जनादेश पर काम कर रहे हैं जो कि निरंकुशता से लोकतंत्र में परिवर्तन है।” यह पूछे जाने पर कि भारत में हसीना की उपस्थिति के कारण ढाका-नयी दिल्ली संबंधों की दिशा को वह किस प्रकार देखते हैं, उन्होंने कहा कि यह “पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि भारत क्या निर्णय लेता है।”

बांग्लादेश से भागने के बाद हसीना के भारत में रहने के बारे में उन्होंने कहा, “बांग्लादेशी नाराज नहीं हैं, बल्कि आहत और अपमानित हैं... क्योंकि उन्होंने कभी इसकी उम्मीद नहीं की थी।’’ पूर्व कैबिनेट मंत्री ने दावा किया कि अवामी लीग और हसीना के प्रति नई दिल्ली का व्यवहार “वास्तविक अर्थ में भारत विरोधी भावना में तब्दील हो गया है”। उन्होंने कहा, “हमारे लिए भारत के साथ गैरमित्रवत व्यवहार करने का कोई कारण नहीं है, जब तक कि भारत इस तरह से व्यवहार न करे जिससे बांग्लादेश के लोगों को उसके इरादों पर संदेह हो।” बीएनपी नेता ने दावा किया कि अखबारों में ऐसी खबरें हैं कि अमेरिका और ब्रिटेन की सरकारों ने हसीना को अपने यहां रखने से इनकार कर दिया और इन परिस्थितियों में उन्हें भारत में शरण मिली है और यह “सार्वजनिक सूचना” है।

खान ने ढाका में कहा: “यह भारत के नीति नियोजकों, राजनेताओं और सुरक्षा रणनीतिकारों पर निर्भर है कि वे उन्हें कब तक, किस आधार पर और किन नीतियों के तहत रख सकते हैं। यह तय करना हमारा काम नहीं है। हमने जो कहा है, वही विदेशी सलाहकार ने भी कहा है।” नयी दिल्ली को यह तय करना होगा कि वह “बांग्लादेशी जनता की मित्र” बनना चाहती है या “लोगों के एक वर्ग, या एक पार्टी या एक नेता का मित्र” बनना चाहती है।

वरिष्ठ बीएनपी नेता ने आरोप लगाया कि नई दिल्ली में नीति नियोजकों, राजनेताओं और सुरक्षा रणनीतिकारों ने “किसी तरह एक व्यक्ति और एक पार्टी, शेख हसीना और अवामी लीग पर अपना दांव लगा दिया” और दावा किया कि यह “भारत की सबसे बड़ी त्रासदी” है। उन्होंने कहा, “मैं विश्वास नहीं कर सकता कि इतना महान राष्ट्र बांग्लादेश के लोगों की मूल प्रवृत्ति, मनोविज्ञान को समझने में विफल रहा... मैं ईमानदारी से आशा करता हूं कि भारत इस मानसिकता से बाहर आ जाएगा।”

Updated 17:04 IST, August 23rd 2024