अपडेटेड 11 August 2024 at 14:53 IST

बांग्लादेश बॉर्डर पर बिछा दी गईं लाशें...म्यांमार में रोहिंग्याओं पर ड्रोन अटैक, 150 की मौत

म्यांमार में बांग्लादेश बॉर्डर पर कम से कम 150 रोहिंग्याओं के मारे जाने की खबर है। विद्रोही मिलिशिया और म्यांमार की सेना ने हमले के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया।

least 150 rohingya may have been killed in myanmar
म्यांमार में रोहिंग्याओं पर ड्रोन अटैक | Image: AP

Myanmar: म्यांमार में बांग्लादेश बॉर्डर के नजदीक तकरीबन 150 मुस्लिम रोहिंग्याओं को मारा गया है। ये लोग म्यांमार छोड़ने की कोशिश कर रहे थे और इसी बीच पश्चिमी राज्य राखीन में रोहिंग्याओं के झुंड पर ड्रोन हमले कर दिए गए, जिसमें महिला-बच्चे की भी मौत हो गई। सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे दुखद वीडियो में नदी के किनारे सड़क पर दर्जनों वयस्कों और बच्चों के शव बिखरे हुए दिखाई दिए। क्षेत्र में यात्रा पर कड़े प्रतिबंधों और चल रही लड़ाई के कारण न तो वीडियो और न ही हमले के विवरण की आसानी से पुष्टि की जा सकती है।

कई प्रत्यक्षदर्शियों के आधार पर रिपोर्ट में बताया गया है कि बचे हुए लोग शवों के ढेर के बीच भटकते हुए मृत और घायल रिश्तेदारों की पहचान कर रहे थे। मृतकों में एक गर्भवती महिला और उसकी दो साल की बेटी भी शामिल थी। 4 प्रत्यक्षदर्शियों, कार्यकर्ताओं और एक राजनयिक के अनुसार, सोमवार को ड्रोन हमले में पड़ोसी बांग्लादेश में सीमा पार करने का इंतजार कर रहे परिवारों को निशाना बनाया गया। ये हमला हाल के हफ्तों में सैनिक टुकड़ियों और विद्रोहियों के बीच संघर्ष के दौरान राखीन राज्य में नागरिकों पर सबसे घातक हमला है।

मिलिशिया और सेना ने एक-दूसरे को दोषी ठहराया

वीडियो में कीचड़ भरी जमीन पर शव पड़े हुए दिखाई दे रहे थे। साथ ही आस-पास सूटकेस और बैकपैक बिखरे हुए थे। तीन जीवित बचे लोगों के अनुसार, 200 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि घटना के बाद के एक गवाह ने कम से कम 70 शव देखे जाने की बात कही। फिलहाल कम से कम 150 रोहिंग्याओं के मारे जाने की खबर है। विद्रोही मिलिशिया और म्यांमार की सेना ने हमले के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया। हालांकि गवाहों ने दावा किया कि ड्रोन हमला विद्रोही मिलिशिया की तरफ से किया गया है।

2017 में म्यांमार से भागे थे लाखों रोहिंग्या

2017 में सैन्य नेतृत्व वाली कार्रवाई के बाद 7,30,000 से अधिक रोहिंग्या दक्षिण पूर्व एशियाई देश से भाग गए थे, जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि ये नरसंहार के इरादे से किया गया था। 2021 में जुंटा ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित आंग सान सू की को पद से हटा दिया। तब से देश में उथल-पुथल मची हुई है।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 11 August 2024 at 14:53 IST