हिंदू महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बेहद खास होता है। शादीशुदा महिलाएं ये व्रत पति की लम्बी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य के लिए करती हैं।
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इस साल उदया तिथि के हिसाब से करवा चौथ का व्रत रविवार, 20 अक्टूबर के दिन ही रखा जाएगा। इस दिन सुहागिनें पति के लिए निर्जला उपवास कर सकती हैं।
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पूजा का मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इस पूरे 01 घंटे और 16 मिनट की अवधि में करवा पूजन करना अति शुभ है।
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इसके अलावा चंद्रोदय का समय संध्याकाल में 07 बजकर 54 मिनट पर होगा। जिसके निकलने के बाद आप चांद को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल सकती हैं। आइए जानते हैं करवा चौथ की पूजा विधि क्या है।
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करवा चौथ की पूजा के लिए सबसे पहले एक लकड़ी का पाटा स्थापित करें। इसके बाद सभी जरूरी सामान के साथ करवा चौथ पूजा की थाली तैयार करें।
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फिर पूजा के स्थान पर सही दिशा देखकर करवा माता की तस्वीर दीवार पर लगाएं। अब पाटे की उत्तर दिशा में एक जल से भरा लोटा या कलश स्थापित करें और उसमें थोड़े-से चावल डाल दें।
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अब जल से भरे कलश पर रोली, चावल का टीका लगाकर लोटे पर मौली बांध दें। पूजा के शुभ मुहूर्त में अपनी सास या जेठानी या फिर किसी अन्य पूज्य महिला से करवा चौथ व्रत की कथा सुनें।
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पूजा की थाली में रोली, गेहूं, धूप, दीपक, सींक आदि सब रख लें। सुहागिन महिलाओं के साथ कथा सुनने के बाद 7 बार करवे की अदला-बदली करें।
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अब जल से भरे करवे को रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए रख लें। फिर चंद्रमा के निकलने के बाद दीपक जलाकर चांद की पूजा करें और आरती उतारें।
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इस दौरान छलनी से चंद्रमा के दर्शन करने के बाद पति का चेहरा देखें। फिर पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलें। उसके बाद घर के सभी बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर भोजन करें।
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