अपडेटेड 4 May 2024 at 15:41 IST
'जो मर्द हराएगा उससे करूंगी शादी', कौन थीं महिला पहलवान हमीदा बानो? जिन्हें Google भी दे रहा सम्मान
Google Doodle Hamida Banu: हमीदा बानो की पहचान भारत की पहली महिला पहलवान के रूप में होती है। एक ऐसी रेसलर जिसे उनके करियर में कोई मर्द भी पटखनी नहीं दे सका।
- टेक्नोलॉजी न्यूज
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Google Doodle Hamida Banu: भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान हमीदा बानो को गूगल ने सम्मानित किया है। बेंगलुरु की कलाकार दिव्या नेगी द्वारा चित्रित डूडल में सुश्री बानू को स्थानीय वनस्पतियों और जीवों से घिरा हुआ दिखाया गया है। यह उस खेल में महिलाओं के प्रवेश की याद भी दिलाता है जिसमें 1940 और 50 के दशक में पुरुषों का वर्चस्व था। गूगल डूडल के विवरण में लिखा है, "यह डूडल भारतीय पहलवान हमीदा बानो का जश्न मनाता है, जिन्हें व्यापक रूप से भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान माना जाता है।"
कौन थीं हमीदा बानो?
हमीदा बानो की पहचान भारत की पहली महिला पहलवान के रूप में होती है। एक ऐसी रेसलर जिसे उनके करियर में कोई मर्द भी पटखनी नहीं दे सका। हमीदा का जन्म 1900 के प्रारंभ में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पास हुआ था। 1940 और 1950 के दशक के अपने करियर में बानो ने 300 से अधिक प्रतियोगिताएं जीतीं।
'जो मर्द मुझे हराएगा उससे करूंगी शादी'
हमीदा बानो को अलीगढ़ का 'अमेजन' भी कहा जाता था। उन्हें अपनी पहलवानी पर इतना भरोसा था कि 1940 और 1950 के दशक में उन्होंने एक बड़ी शर्त रख दी थी। हमीदा बानो ने चुनौती देते हुए कहा था कि दंगल में जो मर्द उन्हें हराएगा वो उन्हीं के साथ शादी करेंगी। 1937 में लाहौर में एक पुरुष पहलवान फिरोज खान के साथ उनका मुकाबला हुआ था। हमीदा ने फिरोज को धूल चटाई थी।
हमीदा बानो का करियर अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र तक भी बढ़ा, जहां उन्होंने रूसी महिला पहलवान वेरा चिस्टिलिन के खिलाफ दो मिनट से भी कम समय में जीत हासिल की। गूगल ने लिखा, "उनका नाम कई वर्षों तक अखबारों की सुर्खियों में रहा और उन्हें "अमेजन ऑफ अलीगढ" के नाम से जाना जाने लगा। उनके द्वारा जीते गए मुकाबलों, उनके आहार और उनके प्रशिक्षण को व्यापक रूप से कवर किया गया।"
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आज के डूडल के बारे में बोलते हुए, कलाकार दिव्या नेगी ने कहा कि वह उस समय के रूढ़िवादी मानदंडों के खिलाफ हमीदा बानो की लड़ाई से प्रेरित थीं। "मैंने अपने डूडल शोध के दौरान हमीदा की दुनिया में गहराई से प्रवेश किया। यह जानना प्रेरणादायक था कि उन्होंने अपने समय के रूढ़िवादी मानदंडों के खिलाफ जमकर लड़ाई लड़ी।
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Published By : Ritesh Kumar
पब्लिश्ड 4 May 2024 at 10:32 IST