अपडेटेड 29 August 2023 at 21:15 IST
...तो क्या अब चांद पर बस सकती है मानव बस्ती? प्रज्ञान को मिले ऑक्सीजन के क्या है मायने?
प्रज्ञान रोवर ने चांद पर ऑक्सीजन होने के सबूत खोज निकाले हैं। इसके साथ अब रोवर हाइड्रोजन की खोज में जुट गया है।
- टेक्नोलॉजी न्यूज
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चांद के दक्षिणी पोल पर घूम रहे प्रज्ञान रोवर ने बड़ी खोज की है। प्रज्ञान ने दक्षिणी पोल के सतह पर बेशकीमती खजाने की खबर दी है। इसमें वो चीजें भी हैं, जो जीवन के लिए सबसे जरूरी होती हैं। चंद्रयान-3 की इस खोज के बाद क्या चांद पर मानव बस्ती फिर से बस सकती है, की बहस और तेज हो जाएगी? रोवर प्रज्ञान को मिले खजाने की खबर उसमें लगे लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप ने दी है।
खबर में आगे पढ़ें...
- प्रज्ञान रोवर ने चांद पर खोज लिया खजाना
- ऑक्सीजन, सल्फर होने के मिले सबूत
- चांद पर मानव बस्ती बसने का दावा हुआ मजबूत
चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर की मौजूदगी का पता लगा लिया है। इसके अलावा प्रज्ञान को एल्यूमिनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैग्नीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन की मौजूदगी के सबूत मिले है। अब प्रज्ञान दक्षिणी ध्रुव पर हाइड्रोजन की खोज में जुट गया है।
ISRO ने क्या बताया?
ISRO ने प्रज्ञान के खोज को लेकर बताया कि रोवर पर लगे लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) उपकरण ने पहली बार इन-सीटू मैपिंग के माध्यम से साउथ पोल के पास चांद सतह में सल्फर की उपस्थिति की स्पष्ट रूप से पुष्टि की है। जैसी उम्मीद थी, एल्यूमिनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैग्नीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता चला है। अब हाइड्रोजन की खोज जारी है। इनमें से कई खनिज बेहद दुर्लभ और बेशकीमती हैं।
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चांद पर बस्ती बसने का दावा हुआ और मजबूत
प्रज्ञान रोवर ने चांद पर ऑक्सीजन होने के सबूत खोज निकाले हैं। इसके साथ अब रोवर हाइड्रोजन की खोज में जुट गया है। अगर दक्षिणी ध्रुव पर हाइड्रोजन मिल जाता है, तो स्वाभाविक है कि वहां पानी भी मौजूद है।
हाइड्रोजन (H2) और ऑक्सीजन (O2) के क्रिया से ही पानी का निर्माण होता है। ऐसे में हाइड्रोजन के मिलते ही चांद की सतह पर पानी (H2O) की मौजूदगी साफ हो जाएगी। जैसा कि हम जानते हैं कि हवा (ऑक्सीजन) और पानी किसी भी जीव के बसने के लिए सबसे बेसिक जरूरत होती है। ऐसे में इस खोज से चांद पर बस्ती बसने की तैयारियों को और पुश मिल सकता है। यह भी कि वहां भविष्य में या अतीत में कभी जीवन की संभावनाएं भी मिले। हालांकि यह सब फिलहाल दूर की कौड़ी है और अभी इस बारे में कुछ भी दावे से कहना बहुत जल्दबाजी होगी।
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भारत समेत दुनिया की तमाम वैज्ञानिक संस्थाएं, ग्रहों पर खनिज और जीवन की संभावनाएं तलाशने में जुटी हुई हैं।
तो इसलिए चांद के साउथ पोल पर गया था चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग के बाद ISRO चीफ एस सोमनाथ ने चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग को लेकर मीडिया से बात की थी। उनसे जब पूछा गया था कि लैंडिंग के लिए साउथ पोल को क्यों चुना गया? इस पर ISRO चीफ ने कहा था कि हम दक्षिणी ध्रुव के करीब चले गए जो लगभग 70 डिग्री है।
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सूर्य के कम प्रकाशित होने के बारे में दक्षिणी ध्रुव को एक विशेष लाभ मिलता है। चंद्रमा पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने दक्षिणी ध्रुव में बहुत रुचि दिखाई, क्योंकि आखिरकार मनुष्य वहां जाकर उपनिवेश बनाना चाहते हैं और फिर उससे आगे की यात्रा करना चाहते हैं। इसलिए हम सबसे अच्छी जगह की तलाश कर रहे हैं और दक्षिणी ध्रुव में वह क्षमता है कि वहां कॉलोनी बन सकती है।
प्रज्ञान को दक्षिणी ध्रुव पर जो कुछ मिला है, वह भारत के मून मिशन की शत-प्रतिशत सफलता को पुष्ट करने के लिए काफी है। ISRO के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के जरिए भारत का नाम हमेशा के लिए स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करा दिया है, जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है।
Published By : Nripendra Singh
पब्लिश्ड 29 August 2023 at 21:15 IST