अपडेटेड 30 December 2024 at 22:49 IST
क्या है Spadex? जिसे सफलतापूर्वक लॉन्च करते ही भारत बन जाएगा ऐसा कारनामा करने वाला चौथा देश, चंद्रयान-4 के लिए क्यों अहम
भारत का स्पेस रिसर्च सेंटर कुछ ही देर में Spadex लॉन्च करने जा रहा है। आइए जानते हैं ये मिशन क्या है और चंद्रयान-4 के लिए क्यों अहम है।
- टेक्नोलॉजी न्यूज
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ISRO to Launch Spadex: भारत का स्पेस रिसर्च सेंटर इसरो बुलंदियों की नई कहानी लिख रहा है। आज का दिन इसरो के लिए बेहद खास है। दरअसल, ISRO श्रीहरि कोटा से SPADEX मिशन लॉन्च करने जा रहा है। इसे लॉन्च करने में अब कुछ ही मिनटों का समय रह गया है। 30 दिसंबर यानि आज रात ठीक दस बजे इस मिशन को लॉन्च किया जाएगा।
इसरो का ये मिशन इसलिए भी खास माना जा रहा है, क्योंकि SPADEX की सफलता के बाद ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) और चंद्रयान-4 की सफलता का रास्ता आसान होगा। अगर ये मिशन सफल रहता होता है, तो इशरो ऑर्बिट छोड़कर अलग दिशा में जाने वाले हिस्से को वापस कक्षा में ला सकेगा। इसके साथ ही ऑर्बिट में सर्विसिंग और रिफ्यूलिंग का विकल्प भी रहेगा। जानकारी के अनुसार स्पेडेक्स मिशन में दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जोड़कर दिखाया जाएगा।
क्या है इस मिशन का उद्देश्य?
स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य दो छोटे अंतरिक्ष यानों (एसडीएक्स01, चेजर और एसडीएक्स02, टारगेट) के मिलन, डॉकिंग और अनडॉकिंग के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी को विकसित करना और उसका प्रदर्शन करना है। इसरो ने एक बयान में कहा, "इसके अलावा, अपने छोटे आकार और द्रव्यमान के कारण, स्पैडेक्स दो बड़े अंतरिक्ष यानों को डॉक करने की तुलना में मिलन और डॉकिंग युद्धाभ्यास के लिए आवश्यक महीन परिशुद्धता के कारण और भी अधिक चुनौतीपूर्ण है। यह मिशन पृथ्वी से जीएनएसएस पर निर्भर किए बिना चंद्रयान-4 जैसे भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए आवश्यक स्वायत्त डॉकिंग के अग्रदूत के रूप में काम करेगा।"
स्पैडेक्स चंद्रयान-4 के लिए क्यों है अहम?
इसरो के मून मिशन चंद्रयान-4 के लिए स्पेस में डॉकिंग तकनीक बेहद मायने रखता है। डॉकिंग का मतलब ही है दो अलग-अलग हिस्सों को साथ लाकर, उसे एक-दूसरे से जोड़ना, और इसी तकनीक से चंद्रयान-4 को मदद मिलेगी। ऐसे में स्पैडेक्स की मदद से भारत को अपना स्पेस स्टेशन बनाने में मदद मिलेगी। स्पैडेक्स का मतलब है एक ही सैटेलाइट का दो हिस्सा। इसे स्पेस में एक ही रॉकेट में रखकर ले जाया जाएगा, लेकिन इसे अलग-अलग- जगहों पर छोड़ा जाएगा।
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मिशन से जुड़ी अहम बातें-
इसरो स्पैडेक्स मिशन: यह मिशन भारत के बढ़ते अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ा बदलाव है, जो स्टार्टअप और विश्वविद्यालयों के लिए नए अवसर पैदा करेगा। 24 पेलोड में से 14 इसरो रिसर्च सेंटर से है, जबकि 10 प्राइवेट विश्वविद्यालयों और स्टार्टअप से हैं, जो अंतरिक्ष क्षेत्र में नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देने में मिशन की भूमिका को रेखांकित करता है।
पीएसएलवी सी-60 मिशन: पीएसएलवी-सी60 स्पैडेक्स मिशन लॉन्च से पहले, इसरो के वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण लॉन्च से पहले प्रार्थना करने और दैवीय हस्तक्षेप की प्रार्थना करने के लिए तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का दौरा किया।
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इसरो स्पैडेक्स मिशन: अंतरिक्ष में जाने वाली स्वदेशी तकनीकें; डॉकिंग तंत्र, चार मिलन स्थल और डॉकिंग सेंसर का एक सेट, पावर ट्रांसफर तकनीक, अन्य अंतरिक्ष यान की सापेक्ष स्थिति और वेग निर्धारित करने के लिए GNSS-आधारित नोवेल रिलेटिव ऑर्बिट डिटरमिनेशन एंड प्रोपेगेशन (RODP) प्रोसेसर।
इसरो स्पैडेक्स मिशन: स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य भारत को उन विशिष्ट देशों के समूह में शामिल करना है - जिसमें वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं - जिन्होंने स्वायत्त अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक हासिल की है। दो उपग्रह, SDX01 (चेजर) और SDX02 (टारगेट), 470 किमी की ऊँचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किए जाएँगे। यह मिशन रेंडेज़वस, डॉकिंग और अनडॉकिंग जैसी प्रमुख क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा, जिससे उन्नत अंतरिक्ष संचालन का मार्ग प्रशस्त होगा।
इसरो स्पैडेक्स मिशन: PSLV-C60 PS4-ऑर्बिटल एक्सपेरीमेंट मॉड्यूल (POEM-4) के हिस्से के रूप में 24 पेलोड ले जाएगा। इन पेलोड में 20 से ज़्यादा प्रायोगिक सेटअप शामिल हैं जो इसरो के व्यापक अंतरिक्ष अन्वेषण उद्देश्यों और तकनीकी प्रदर्शनों के लिए अभिन्न अंग हैं।
इसरो स्पैडेक्स मिशन: इसरो ने अपने स्पैडेक्स मिशन के प्रक्षेपण की तैयारी में पीएसएलवी-सी60 वाहन को इकट्ठा किया!
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 30 December 2024 at 21:52 IST