अपडेटेड 14 February 2025 at 21:54 IST

भारत, अमेरिका ने अंतरिक्ष अन्वेषण में अधिक सहयोग का आह्वान किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लंबी अवधि के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन सहित अंतरिक्ष अन्वेषण में सहयोग बढ़ाने का आह्वान करते हुए 2025 को ‘‘अमेरिका-भारत असैन्य अंतरिक्ष सहयोग के लिए अग्रणी वर्ष’’ बताया।

PM Modi and US President Donald Trump
पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप | Image: Facebook

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लंबी अवधि के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन सहित अंतरिक्ष अन्वेषण में सहयोग बढ़ाने का आह्वान करते हुए 2025 को ‘‘अमेरिका-भारत असैन्य अंतरिक्ष सहयोग के लिए अग्रणी वर्ष’’ बताया।

‘इंडस इन्नोवेशन ब्रिज’ की शुरुआत करते हुए दोनों नेताओं ने बृहस्पतिवार (शुक्रवार भारतीय समयानुसार) को व्यापक चर्चा की, जिसमें रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय साझेदारी को व्यापक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

चर्चा के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, मोदी और ट्रंप ने ‘‘अंतरिक्ष अन्वेषण में और अधिक सहयोग का आह्वान किया, जिसमें लंबी अवधि के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, अंतरिक्ष उड़ान सुरक्षा और संबंधित उभरते क्षेत्रों में विशेषज्ञता और पेशेवर आदान-प्रदान को साझा करना शामिल है।’’

बयान में कहा गया, ‘‘नेताओं ने पारंपरिक और उभरते क्षेत्रों, जैसे कनेक्टिविटी, उन्नत अंतरिक्ष उड़ान, उपग्रह और अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली, अंतरिक्ष पर्यटन और उन्नत अंतरिक्ष विनिर्माण में उद्योग की भागीदारी के माध्यम से वाणिज्यिक अंतरिक्ष सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।’’

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प्रधानमंत्री की 12-13 फरवरी की अमेरिका यात्रा, 20 जनवरी को ट्रंप के शपथग्रहण के लगभग तीन सप्ताह बाद हुई।

संयुक्त बयान में, नेताओं ने ‘‘2025 को अमेरिका-भारत असैन्य अंतरिक्ष सहयोग के लिए एक अग्रणी वर्ष के रूप में सराहा’’, जिसमें ‘एएक्सआईओएम’ के माध्यम से नासा-इसरो के प्रयास से पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर ले जाने की योजना बनाई गई।

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इसमें संयुक्त ‘निसार’ मिशन के जल्द शुरू होने का भी उल्लेख किया गया है, जो दोहरे रडार का उपयोग करके पृथ्वी की सतह पर परिवर्तनों को व्यवस्थित रूप से विश्लेषण करने वाला अपनी तरह का पहला मिशन है। नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार या ‘निसार’ का उपयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा कृषि मानचित्रण और भूस्खलन-संभावित क्षेत्रों सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।

नेताओं ने अमेरिका-भारत ‘ट्रस्ट’ (रणनीतिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए संबंधों में बदलाव) पहल की शुरुआत की भी घोषणा की, जो रक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेमीकंडक्टर, क्वांटम, जैव प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार-से-सरकार, शिक्षा और निजी क्षेत्र के सहयोग को बढ़ावा देगी।

बयान में यह भी कहा गया है कि ‘ट्रस्ट’ पहल सत्यापित प्रौद्योगिकी विक्रेताओं के उपयोग को प्रोत्साहित करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि संवेदनशील प्रौद्योगिकियों की सुरक्षा की जाए।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बृहस्पतिवार (शुक्रवार भारतीय समयानुसार) को यहां प्रेस वार्ता में कहा कि दोनों नेताओं ने रक्षा अनुप्रयोगों के लिए सफल ‘इंडस-एक्स प्लेटफॉर्म’ के मॉडल पर आधारित एक नए, नवाचार सेतु की शुरुआत की।

संयुक्त बयान में कहा गया कि ‘इंडस’ नवोन्मेष का उद्देश्य अंतरिक्ष, ऊर्जा और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना है, ताकि नवाचार में अमेरिका और भारत का नेतृत्व बना रहे तथा 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 14 February 2025 at 21:54 IST