अपडेटेड 23 February 2024 at 15:24 IST
ISRO से आई बड़ी खबर, आदित्य-एल1 पर लगे ‘पेलोड’ ने साइंटिस्टों के लिए जुटाई ये अहम जानकारी
ISRO ने अपने सूर्य मिशन आदिल्य-एल1 को लेकर बड़ी जानकारी दी है। आदित्य-एल1 पर लगे पेलोड के उन्नत सेंसरों ने सीएमई के प्रभाव का पता लगाया है।
- टेक्नोलॉजी न्यूज
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने सूर्य मिशन आदिल्य-एल1 को लेकर बड़ी जानकारी दी है। इसरो ने बताया है कि आदित्य-एल1 (Aditya-L1) पर लगे पेलोड ने सीएमई के प्रभाव का पता लगाया है। सोलर मिशन के तहत इसरो की ओर से भेजे गए आदित्य-L1 6 जनवरी को अपने गंतव्य स्थान एल-1 प्वाइंट पर पहुंचा था। धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूर आदित्य सैटेलाइट सूरज की स्टडी अगले पांच साल तक करता रहेगा और अब ये धरती पर जानकारियां भी भेजना लगा है।
इसरो के अनुसार भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 पर लगे ‘पेलोड’ के उन्नत सेंसरों ने कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के प्रभाव का सफलतापूर्वक पता लगाया है। सूर्य से प्लाज्मा और चुंबकीय तत्वों के निकलने की घटना को सीएमई कहा जाता है। अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए) नामक पेलोड एक ऊर्जा व द्रव्यमान विश्लेषक है, जिसे कम ऊर्जा सीमा में सौर पवन इलेक्ट्रॉन और आयनों के मापन के लिए तैयार किया गया है।
आदित्य-एल1 ने सूरज पर CMI के प्रभाव का पता लगाया
इसमें दो सेंसर हैं: पहला सेंसर सोलर विंड इलेक्ट्रॉन एनर्जी प्रॉब (स्वीप) 10 इलेक्ट्रॉन वाल्ट से 3 किलो इलेक्ट्रॉन वॉल्ट की ऊर्जा सीमा में इलेक्ट्रॉनों को मापता है जबकि दूसरा सेंसर सोलर विंड आयन कंपोजिशन एनलाइजर (एसडब्ल्यूआईसीएआर) 10 इलेक्ट्रॉन वाल्ट से 25 किलो इलेक्ट्रॉन वाल्ट और 1-60 एएमयू द्रव्यमान ऊर्जा सीमा में आयनों को मापता है। सेंसर सौर वायु कणों के आगमन की दिशा मापने में भी सक्षम हैं।
PAPA ने दी इसरो को बड़ी जानकारी
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला एवं वैमानिकी इकाई द्वारा विकसित पीएपीए से एकत्र किए गए डेटा से विशेष रूप से 15 दिसंबर, 2023 और 10-11 फरवरी, 2024 के दौरान हुई कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) घटनाओं के बारे में पता चला है। इसरो ने एक बयान में कहा,15 दिसंबर, 2023 को सीएमई की एकल घटना हुई थी। इस अवधि के दौरान पीएपीए अवलोकनों ने कुल इलेक्ट्रॉन और आयन गिनती में अचानक वृद्धि देखी।
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दिसंबर में लॉन्च हुआ था आदित्य-एल
बयान में कहा गया है कि पीएपीए से मिली जानकारी अंतरिक्ष मौसम की स्थिति की निगरानी में इसकी प्रभावशीलता और सौर घटनाओं का पता लगाने व विश्लेषण करने की इसकी क्षमता को रेखांकित करती है। इसरो ने दो सितंबर को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट से आदित्य-एल1 का सफल प्रक्षेपण किया था।
इनपुट भाषा
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Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 23 February 2024 at 14:37 IST