sb.scorecardresearch

Published 17:57 IST, October 18th 2024

पैरालंपिक में मेडल विजेता योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो को क्यों चुना? बताई ब्लाइंड लड़की वाली कहानी

योगेश कथुनिया पढ़ाई में अच्छे थे और CA की तैयारी कर रहे थे, लेकिन फिर वो डिस्कस थ्रोअर कैसे बन गए? 'राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन' में खुद बताई कहानी

Reported by: Digital Desk
Follow: Google News Icon
  • share
Paralympic medal winner Yogesh Kathunia
पैरालंपिक में मेडल विजेता योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो को क्यों चुना? | Image: Republic

Rashtra Sarvopari Sammelan: रिपब्लिक भारत के 'राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन' में पेरिस पैरालिंपिक्स 2024 में भारत का नाम रोशन करे वाले योगेश कथुनिया ने अपने संघर्ष की कहानी साझा की। उन्होंने यह भी बताया कि CA की पढ़ाई करते-करते वो कैसे डिस्कस थ्रोअर बन गए। Paris Paralympics में लगातार दो रजत पदक जीतने वाले योगेश कथुनिया की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा से भरी है।

योगेश कथुनिया ने पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों के F56 डिस्कस थ्रो स्पर्धा में 42.22 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ रजत पदक जीता था। उन्होंने इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक में भी रजत पदक ही जीता था। कथुनिया तब 9 साल के थे जब वो 'गुइलेन-बैरी सिंड्रोम' नाम की दुर्लभ बीमारी का शिकार हो गए। इस दुर्लभ बीमारी में शरीर के अंगों में सुन्नता और झनझनाहट के साथ मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है, जो बाद में पैरालिसिस का कारण बनती है।

9 साल की उम्र में दुर्लभ बीमारी का शिकार

योगेश कथुनिया ने रिपब्लिक भारत के 'राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन' में अपने संघर्ष की कहानी बताई। योगेश कथुनिया के पिता ने आर्मी में रहते हुए देश की सेवा की है। उन्होंने बताया कि 2006 में जब मैं अपने गांव में छुट्टियां मनाने गया हुआ था, तो खेलते खेलते गिर गया था। अस्पताल गया तो पता चला कि न्यूरोलॉजिकल बीमारी है।

डिस्कस थ्रो को क्यों चुना?

योगेश कथुनिया ने बताया कि मैं पढ़ाई में अच्छे थे और CA की तैयारी कर रहे थे। मुझे सचिन यादव ने बताया कि पैरालंपिक भी होता है, तू उसमें कोशिश कर। इसके बाद जब मैं मैदान में गया तो मैंने एक ब्लाइंड लड़की को देखा जो डिस्कस थ्रो कर रही थी। उस ब्लाइंड लड़की को देखकर मैंने सोचा कि जब ये कर रही है, मुझे तो सबकुछ दिखता है। मैं ठीक हूं, जब ये कर सकती है तो मैं भी कर सकता है और इस तरह मेरी शुरूआत हुई।

PM यानी परम मित्र

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत को रजत पदक दिलाने के बाद योगेश कथूरिया ने पीएम मोदी से मिलकर PM की नई फुल फॉर्म बताई थी। उन्होंने कहा था कि PM का मतलब प्रधानमंत्री है, लेकिन हम सभी पैरा एथलीटों के लिये आप PM यानी परम मित्र हैं। उन्होंने कहा कि इस बार मैंने सोचा था कि अगर पीएम से मिलूंगा तो एक नाम देकर जाउंगा, जो आने वाले कई सालों तक चलता रहेगा। तब मैंने सोचा था कि पीएम का मतलब प्राइम मिनिस्टर दूसरों के लिए है, लेकिन हमारे लिए पीएम का मतलब परम मित्र है।

ये भी पढ़ें: अमेरिका के सामने क्यों हाथ फैला रहे हैं पाकिस्तान PM शहबाज शरीफ? बाइडेन को लिख डाला लंबा चौड़ा पत्र

Updated 17:57 IST, October 18th 2024