अपडेटेड 15 August 2024 at 20:56 IST
लगातार ओलंपिक पदक जीतने के लिये फील्ड गोल अधिक करने होंगे : श्रीजेश
भारतीय हॉकी टीम में अगर कोई एक बदलाव पी आर श्रीजेश का मानना है कि हर बार ओलंपिक पदक जीतने के लिये टीम को अधिक फील्ड गोल करने होंगे ।
- खेल समाचार
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Paris Olympics: भारतीय हॉकी टीम में अगर कोई एक बदलाव पी आर श्रीजेश देखना चाहते हैं तो वह गोल के लिये पेनल्टी कॉर्नर पर निर्भरता कम करना होगा और उनका मानना है कि हर बार ओलंपिक पदक जीतने के लिये टीम को अधिक फील्ड गोल करने होंगे ।
भारत ने पेरिस ओलंपिक में लगातार दूसरा ओलंपिक कांस्य पदक जीतने के अपने सफर में 15 गोल किये और 12 गंवाये । इन 15 गोल में से नौ पेनल्टी कॉर्नर पर , तीन पेनल्टी स्ट्रोक पर और सिर्फ तीन फील्ड गोल थे ।
पेरिस ओलंपिक के बाद हॉकी को अलविदा कहने वाले इस महान गोलकीपर ने पीटीआई मुख्यालय पर संपादकों से बातचीत में कहा ,‘‘ अधिकांश समय जब फॉरवर्ड सर्कल में जाते हैं तो उनका मकसद पेनल्टी कॉर्नर बनाना होता है क्योंकि हमारा पेनल्टी कॉर्नर अच्छा है । मैं यह नहीं कहता कि फॉरवर्ड गोल करने की कोशिश नहीं करते ।’’ ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले नीदरलैंड ने 14 और रजत पदक विजेता जर्मनी ने 15 फील्ड गोल किये जबकि चौथे स्थान पर रहे स्पेन ने दस फील्ड गोल दागे ।
पेनल्टी कॉर्नर तब मिलता है जब स्ट्राइकिंग सर्कल के भीतर कोई गलती हुई हो भले ही वह गोल स्कोर करने के लिये बने मूव को रोकने के लिये नहीं हुई हो । श्रीजेश ने कहा ,‘‘ अगर हमारे पास पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करने का सुनहरा मौका है तो उसे गंवाना नहीं चाहिये । लेकिन हमें भारतीय हॉकी टीम को अगर अगले स्तर पर ले जाना है और लगातार ओलंपिक पदक जीतने हैं तो फील्ड गोल अधिक करने होंगे क्योंकि डिफेंस की भी सीमायें होती हैं ।’’
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उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे कहना नहीं चाहिये लेकिन हम जर्मनी नहीं हैं कि 60 मिनट तक एक गोल बचा सके । उनकी रणनीति और शैली हमसे अलग है । हमने गलतियां की और कुछ गोल गंवाये लेकिन हमारे फॉरवर्ड को अधिक गोल करने होंगे ताकि डिफेंस पर बोझ कम हो ।’’ दो ओलंपिक कांस्य, दो एशियाई खेल स्वर्ण और एक कांस्य, दो चैम्पियंस ट्रॉफी खिताब, दो राष्ट्रमंडल खेल रजत के साथ श्रीजेश भारतीय हॉकी के लीजैंड बन चुके हैं जिनका नाम अब मेजर ध्यानचंद, बलबीर सिंह सीनियर, धनराज पिल्लै के साथ लिया जाता है ।
श्रीजेश ने कहा ,‘‘ उस लीग में होना आसान नहीं है । जब आप सीनियर हो जाते हैं, सुर्खियों में रहते हैं तो जिम्मेदारी भी बढ जाती हैं । जूनियर खिलाड़ियों के प्रति भी जिम्मेदारी बढती है । आप खिलाड़ियों और कोचिंग स्टाफ के बीच मध्यस्थ हो जाते हैं । आप टीम के प्रवक्ता और देश के दूत बन जाते हैं और ऐसे में आपको मिसाल पेश करनी होती है ।’’
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Published By : Shubhamvada Pandey
पब्लिश्ड 15 August 2024 at 20:56 IST