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अपडेटेड August 1st 2024, 21:16 IST

Paris Olympics 2024: पहले ओलंपिक के लिए कुसाले ने किया 12 साल का इंतजार, लेकिन मीठा रहा फल

पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए तीसरा पदक जीतने वाले स्वप्निल कुसाले ने अपने पहले ओलंपिक के लिए 12 साल का इंतजार किया है।

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Swapnil Kusale
Swapnil Kusale | Image: AP

Paris Olympics 2024: अपना पहला ओलंपिक खेलने के लिए स्वप्निल कुसाले (Swapnil Kusale) को 12 साल इंतजार करना पड़ा और पेरिस ओलंपिक (Paris Olympics) में 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस में भारत को पहला कांस्य दिलाने वाले इस निशानेबाज को खुद नहीं पता कि इतना समय क्यों लगा ।

उनसे जब पूछा गया तो उन्होंने कहा- 

शायद मैं तब मानसिक रूप से इतना मजबूत नहीं था।

महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास कंबलवाडी गांव में स्कूल शिक्षक पिता और सरपंच मां के बेटे कुसाले ने 2009 में निशानेबाजी शुरू की और 2012 में इंटरनेशनल लेवल पर डेब्यू किया था। रियो ओलंपिक में वो चयन के दावेदारों में नहीं थे और टोक्यो ओलंपिक 2020 के समय चयन के मानदंडों पर मामूली अंतर से चूक गए थे। उस समय अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में प्रदर्शन को अधिक अहमियत दी जाती थी।

28 साल के कुसाले ने 2022 विश्व चैम्पियनशिप में 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस में चौथा स्थान हासिल करके पेरिस ओलंपिक का कोटा हासिल किया था। इसके बाद मार्च अप्रैल में घरेलू ट्रायल में भी अच्छा प्रदर्शन रहा। तेज होती दिल की धड़कनों को थामकर खाली पेट रेंज पर उतरे भारतीय निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने फोकस बनाये रखते हुए शानदार वापसी की।

मैच से पहले पी ब्लैक टी

कुसाले ने पदक जीतने के बाद कहा- 

मैंने कुछ खाया नहीं है और पेट में गुड़गुड़ हो रही थी। मैंने ब्लैक टी पी और यहां आ गया। हर मैच से पहले रात को मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। आज दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था। मैंने श्वास पर नियंत्रण रखा और कुछ अलग करने की कोशिश नहीं की। इस स्तर पर सभी खिलाड़ी एक जैसे होते हैं।

कोच ने क्या कहा?

नेशनल शूटिंग कोच मनोज कुमार ने कहा-

हमें हमेशा से पता था कि स्वप्निल पदक जीत सकता है। फाइनल के बाद हमने लंबी बात की कि निशानेबाजी में फोकस कैसे रखना होता है । मैने उसे गीता पढने के लिये कहा जिससे काफी मदद मिली।

कुसाले ने अपने माता-पिता और निजी कोच दीपाली देशपांडे को भी श्रेय दिया। उन्होंने कहा- 

मैंने अभी तक मां से बात नहीं की है। दीपाली मैम के बारे में क्या कहूं। वो मेरी दूसरी मां जैसी हैं। 

बता दें कि कुसाले ने ओलंपिक से पहले खुद से एक वादा भी किया था जो पूरा नहीं हुआ। उन्होंने इसके बारे में बताया नहीं, लेकिन ये कहा कि आगे से वो गोल्ड से कम पर संतोष नहीं करेंगे। कुसाले ने पदक जीतकर अपना नाम भारतीय खेलों के इतिहास में अपने आदर्श महेंद्र सिंह धोनी की तरह अमर कर दिया। उन्होंने धोनी के साथ पूरे देश को गौरवान्वित किया है।

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पब्लिश्ड August 1st 2024, 21:16 IST