अपडेटेड 20 July 2024 at 20:59 IST

पहले खेला हैंडबॉल, पिता के कहने पर अपनाई कुश्ती; अब ओलंपिक में मेडल की आस

पेरिस ओलंपिक को लेकर भारतीय एथलीटों की तैयारियां तेज हैं। ओलंपिक में एक ऐसी खिलाड़ी भी हिस्सा ले रही है, जो पहले हैंडबाल खेलती थी, लेकिन अब कुश्ती लड़ रही है।

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former handball player Reetika took up wrestling on her fathers advice, hoping for medal in Paris Olympics
हैंडबॉल की प्लेयर ओलंपिक में कुश्ती में करेगी दो-दो हाथ | Image: X

Paris Olympics 2024: पिता की सलाह पर कुश्ती को अपनाने वाली रीतिका हुड्डा (Reetika Hooda) महिला हैवीवेट (76 किग्रा) भार वर्ग में भारत की पहली ओलंपिक क्वालीफायर बनने के बाद अगले हफ्ते से पेरिस में शुरू हो रहे खेलों में पदक का दबाव लिए बिना अपनी तैयारियों को पुख्ता कर रही हैं।

किस्मत पर भरोसा करने वाली रीतिका उन चीजों (कड़ी मेहनत) को पूरे जी-जान से करना चाहती हैं जो उनके हाथ में हैं। रोहतक की 22 साल की इस पहलवान के लिए कुश्ती पहली पसंद नहीं थी। रीतिका बचपन में हैंडबॉल खेलती थी और यहां तक कि जूनियर नेशनल लेवल पर वो राज्य टीम में जगह बनाने में सफल रहीं। उन्होंने राज्य टीम में जगह बनाने की खुशी को जब अपने परिवार के साथ साझा किया तो उनके पिता ने उनसे टीम खेल के बजाय व्यक्तिगत खेल चुनने का सुझाव दिया। 

कब शुरू हुआ कुश्ती का सफर?

इसके बाद रीतिका की कुश्ती की यात्रा की शुरुआत 2015 में हुई। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए इंटरव्यू में कहा-

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मेरे पिता मुझे छोटू राम अखाड़े में ले गए। मेरे कोच मनदीप ने मुझे एक खास आक्रमण करने के लिए कहा और वह मेरे प्रदर्शन से खुश थे, इसलिए उन्होंने मुझे इसमें ले लिया। मेरे लिए अब कुश्ती ही सब कुछ है। मैं कुश्ती के बारे में सोचती हूं, उसी के सपने देखती हूं। मैं किसी और चीज के बारे में नहीं सोच सकती।

रीतिका की मां नीलम ने बताया उनके पिता जगबीर चाहते थे कि उनकी बेटी व्यक्तिगत खेल चुने। नीलम ने कहा- 

उसे राज्य हैंडबॉल टीम के गोलकीपर के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए चुना गया था। वह घर आई और खुशी से उसने अपने चयन के बारे में बताई। उसके पिता ने पूछा कि क्या वह वास्तव में खेल को गंभीरता से लेना चाहती है और जब रीतिका ने हां में सिर हिलाया, तो उन्होंने कहा कि तुम्हें कोई व्यक्तिगत खेल खेलना चाहिए।

ये थे रीतिका के पसंदीदा खेल? 

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नीलम ने कहा तब जगबीर ने रीतिका से उसका पसंदीदा खेल पूछा और उसने जूडो और कबड्डी का जिक्र किया, लेकिन उसके पिता ने उसे कुश्ती खेलने का सुझाव दिया और वो मान गईं। उन्होंने बताया- 

रीतिका को 15 अगस्त 2015 को अखाड़े में नामांकित किया गया था।

पेरिस ओलंपिक को लेकर कड़ी तैयारी

रीतिका ने पेरिस ओलंपिक के बारे में पूछे जाने पर कहा- 

मैं अपनी तरफ से पूरी मेहनत कर रही हूं। अगर आप जी-जान से कुछ चाहते हैं तो आप उसे हासिल कर सकते हैं। मैंने अंडर-23 विश्व चैम्पियनशिप जीतने के बारे में नहीं सोचा था। मुझे फाइनल में पता भी नहीं था कि मैं विश्व चैम्पियन (अमेरिका की कैनेडी ब्लेड्स) के खिलाफ खेल रही हूं। नियति को हालांकि मेरी जीत मंजूर थी। इस खेल को अपनाने के बाद से ही मैं किरण दी (बिश्नोई) को अपना आदर्श मानती हूं। अब देखिये मैंने उन्हें ओलंपिक ट्रायल में हरा दिया। मैंने राष्ट्रीय खेलों में दिव्या काकरान को भी हराया। इन जीतों से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और मुझे विश्वास होने लगा कि नियति मुझे एक निश्चित दिशा में धकेल रही है और मैं उसके साथ खेलूंगी।’’

चुनौतियों का सामना करने में आता है मजा

रीतिका ओलंपिक में कठिन ड्रॉ को लेकर हतोत्साहित नहीं हैं। उन्होंने कहा- 

मुझे सच में बड़े पहलवानों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने में मजा आता है। पेरिस में 16 पहलवान होंगे। मैंने UWW वीडियो और यूट्यूब के माध्यम से हर पहलवान की खेल शैली का अध्ययन किया है।

पहलवानों के लिए हालांकि अपने वजन को बनाए रखना काफी चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन रीतिका के लिए ये काम ज्यादा परेशानी वाला नहीं है। पहले 72 किग्रा भारवर्ग में प्रतिस्पर्धा करने वाली रीतिका ओलंपिक में खेलने के सपने को पूरा करने के लिए 76 किग्रा में खेलने लगीं।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : DINESH BEDI

पब्लिश्ड 20 July 2024 at 20:59 IST