अपडेटेड 1 September 2024 at 07:27 IST

जन्म लेते ही मौत से जंग...पैरालंपिक में इतिहास रचने वाली प्रीति पाल की कहानी रुला देगी

Preethi Pal: 21 साल की प्रीति पाल ने पैरालंपिक 2024 में ऐतिहासिक दौड़ लगाकर भारत की झोली में मेडल और खुशियां भर दी। उनकी संघर्ष की कहानी आपको रुला देगी।

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प्रीति पाल ने पैरालंपिक 2024 में जीता ब्रॉन्ज मेडल | Image: X

Preethi Pal Profile: कहते हैं ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।’ पेरिस पैरालंपिक 2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली भारत की बेटी प्रीति पाल पर ये मशहूर कहावत बिल्कुल सटीक फिट होती है। पैरालंपिक 2024 में प्रीति ने महिलाओं की टी35 100 मीटर रेस में अपना बेस्ट प्रदर्शन कर कांस्य पदक जीता। इसके साथ ही वो पैरालंपिक ट्रैक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं।

21 साल की प्रीति पाल ने पैरालंपिक 2024 में ऐतिहासिक दौड़ लगाकर भारत की झोली में मेडल और खुशियां भर दी, लेकिन आप ये जानकर भावुक हो जाएंगे कि उत्तर प्रदेश की बेटी ने जन्म लेते ही मौत से जंग शुरू कर दी थी। घरवालों से लेकर पड़ोसी तक, सब हार मान चुके थे। लोग कह रहे थे कि ये जिंदा नहीं बचेगी, लेकिन कहते हैं ना कि 'जाको राखे साइयां मार सके ना कोई।' प्रीति पाल ने बचपन में ही मौत से लड़ाई शुरू की, फिर उसे मात दिया और तब शुरू हुई जिंदगी में कुछ करने की लड़ाई।

प्रीति पाल ने मौत को मात देकर रचा इतिहास

वैसे तो प्रीति पाल पर नाज करने के लिए इतना ही काफी है कि वो पैरालंपिक इतिहास में ट्रैक इवेंट में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी हैं, लेकिन उनकी सघर्ष की कहानी सुनकर आपको उनपर और गर्व होगा और साथ ही जिंदगी में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिलेगी।

प्रीति पाल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। जन्म लेने के 6 दिन बाद ही उनके शरीर के निचले हिस्से को प्लास्टर में बांधना पड़ा। कमजोर टांगों और पैरों की अनियमित मुद्रा के कारण वो विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ गईं। अपने पैरों को मजबूत बनाने के लिए उन्होंने कई पारंपरिक उपचार करवाए। 5 साल की उम्र में उन्होंने कैलीपर्स पहनना शुरू कर दिया और 8 साल तक इसे पहनती रहीं। कई लोगों को उसके जीवित रहने पर संदेह होने के बावजूद, प्रीति एक फाइटर साबित हुई, जीवन-घातक परिस्थितियों पर काबू पाया और अविश्वसनीय ताकत और लचीलेपन का प्रदर्शन करते हुए मौत को मात देने में कामयाब हुई।

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पैरालंपिक गेम्स देखकर मिली प्रेरणा

17 साल की उम्र में जब प्रीति पाल ने सोशल मीडिया पर पैरालंपिक गेम्स देखे तो उनका नजरिया बदलने लगा। वो प्रेरित हुईं और उन्हें एहसास हुआ कि वो भी अपने सपनों को साकार कर सकती है। सुधार करने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर, उन्होंने स्टेडियम में अभ्यास करना शुरू कर दिया, लेकिन वित्तीय बाधाओं के कारण प्रीति के लिए परिवहन का खर्च उठाना मुश्किल था। उनका जीवन तब बदल गया जब उनकी मुलाकात पैरालंपिक एथलीट फातिमा खातून से हुई, जिन्होंने उन्हें पैरा-एथलेटिक्स से परिचित कराया। फातिमा के समर्थन से, प्रीति ने 2018 में राज्य पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लिया और फिर कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया। उनकी कड़ी मेहनत तब सफल हुई जब उन्होंने एशियाई पैरा गेम्स 2022 के लिए क्वालीफाई किया, जहां वो 100 मीटर और 200 मीटर दोनों स्प्रिंट में चौथे स्थान पर रहीं।

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प्रीति पाल की उपलब्धियां

विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2024- कांस्य पदक
एशियन पैरा गेम्स 2022-2023 - चौथा स्थान
इंडियन ओपन पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैंपियनशिप 2024- 2 स्वर्ण पदक
राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2024 - 2 स्वर्ण पदक

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Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 31 August 2024 at 08:42 IST