Published 23:19 IST, September 4th 2024
'प्रमोद भगत की गैरमौजूदगी ने…', पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद नितेश ने कही बड़ी बात
2024 पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारतीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी नितेश कुमार ने प्रमोद भगत को लेकर बड़ी बात कही है।
Paris Paralympics 2024: भारत के बैडमिंटन पुरुष एकल स्वर्ण पदक विजेता नितेश कुमार ने बुधवार को कहा कि पेरिस पैरालंपिक में प्रमोद भगत की अनुपस्थिति ने उन्हें खिताब जीतने की ‘अतिरिक्त जिम्मेदारी’ दी।
पुरुष एकल एसएलसी वर्ग में स्वर्ण जीतने वाले नितेश, तुलसीमति मुरुगेसन (रजत), सुहास यथिराज (रजत), मनीषा रामदास (कांस्य) और नित्या श्री सिवन (कांस्य) को बुधवार को यहां भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के मुख्यालय में युवा मामलों और खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने उनकी उपलब्धि के लिए सम्मानित किया।
नितेश ने कहा कि पैरा खेलों से पहले भगत को 18 महीने के लिए निलंबित किए जाने के बाद उनका मंत्र पैरालंपिक में एक समय में एक मैच पर ध्यान देना था।
नितेश ने पीटीआई से खास बातचीत में कहा, ‘‘मैंने एक बार में एक मैच पर ध्यान देने के बारे में सोचा, दुनिया के नंबर एक, शीर्ष वरीय के रूप में वहां जाना, मेरे लिए खिताब जीतना एक जिम्मेदारी थी, विशेषकर तब जब प्रमोद पैरालंपिक में भाग लेने में असमर्थ थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिए जीतना मेरे लिए एक अतिरिक्त जिम्मेदारी थी। फाइनल में प्रवेश करते हुए मुझे पता था कि यह हम दोनों के लिए मानसिक रूप से कठिन होगा। मुझे उनसे बेहतर होने और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का विश्वास था।’’
खेल मंत्री मांडविया ने देश के लिए अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए भारतीय दल की सराहना की और उम्मीद जताई कि खिलाड़ी बाकी बची प्रतियोगिताओं में और पदक जीतेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत का उत्साह बढ़ाएंगे और आने वाले दिनों में हमारे खिलाड़ी 11 और पदकों के लिए चुनौती पेश करेंगे। मेरा मानना है कि जिस तरह से हमारे खिलाड़ी पैरालंपिक में प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे उनका भविष्य उज्ज्वल है।’’
मांडविया ने कहा, ‘‘भारत के पास पैरालंपिक में अब भी 11 और पदक जीतने का मौका है।’’
तोक्यो में रजत पदक जीतने के बाद पेरिस में भी उप विजेता रहे सुहास ने जल्द ही संन्यास लेने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘रजत पदक जीतना अपने आप में एक चुनौती है। हर खिलाड़ी स्वर्ण पदक जीतना चाहता है और जब वे नहीं जीत पाते तो निराशा होती है।’’
सुहास ने अपने संन्यास के बारे में कहा, ‘‘जीवन एक यात्रा है और मैं इस पल को जीना चाहता हूं, खेल में अपने भविष्य के बारे में अभी ज्यादा नहीं सोचना चाहता।’’
तुलसीमति ने कहा, ‘‘मैं रजत पदक से खुश हूं। मुझे लगता है कि मुझे अपने पदक का रंग बदलने के लिए और मेहनत करनी होगी।’’
मुख्य कोच गौरव खन्ना ने उम्मीद जताई कि अगले पैरालंपिक में भारत के पदकों की संख्या में सुधार होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य आठ से 10 पदक जीतना था लेकिन हमें पांच से ही संतोष करना पड़ा। हमें उम्मीद है कि हम 2028 में अपने लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।’’
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 23:19 IST, September 4th 2024