अपडेटेड 4 September 2024 at 18:59 IST

Deepthi Jeevanji: 'मेंटल मंकी' बोलते थे लोग, ट्रक क्लीनर की बेटी ने मेडल जीत दिया करारा जवाब

सूर्यग्रहण के दिन पैदा हुई दीप्ति जीवनजी को गांव के लोग मंकी, मेंटल कहकर चिढ़ाते थे लेकिन जब उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में ब्रॉन्ज जीता तो सबकी बोलती बंद हो गई।

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Deepthi Jeevanji
Deepthi Jeevanji | Image: X

Deepthi Jeevanji: पेरिस पैरालंपिक में भारत के लिए छठा दिन बेहद खास रहा। 3 सितंबर को भारत ने जैसे ही पांच मेडल जीते, टोक्यो पैरालंपिक में अपने द्वारा ही बनाया रिकॉर्ड भारत ने तोड़ दिया। अब तक पेरिस पैरालंपिक में भारत की झोली में कुछ 20 मेडल आ चुके हैं।

पैरालंपिक के मंगलवार, 4 सितंबर को भारत की बेटी दीप्ति जीवनजी ने 400 मीटर टी20 स्पर्धा के फाइनल में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर उन सारे लोगों को करारा जवाब दिया जो उसे बचपन से मेंटल, मंकी आदि नामों से चिढ़ाया करते थे। दीप्ति जीवनजी ने 400 मीटर टी20 स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं।

दीप्ति जीवनजी का जन्म सूर्यग्रहण के दिन हुआ 

20 साल की दीप्ति ने 55.82 सेकंड में इस रेस पूरा कर लिया। वो महज 0.66 सेकंड से पहले स्थान से चूक गईं। दीप्ति की मां ने बताया था कि उसका (दीप्ति जीवनजी) जन्म सूर्यग्रहण के समय हुआ था। वो जन्म से ही मानसिक रूप से कमजोर थी। यही वजह थी दीप्ति को बातचीत करने या किसी भी सामान्य काम को करने में काफी दिक्कतें आती थीं।

गांव के लोग मंकी, मेंटल के नाम से चिढ़ाते थे

दीप्ती के माता-पिता ने बताया कि जन्म के समय उनका सिर बहुत छोटा था। इसके अलावा उसके होठ और नाक भी आम बच्चों जैसे नहीं थे। इस वजह से गांव वाले और कई रिश्तेदार दीप्ति को पागल यानी मेंटल कहते थे। इतना ही नहीं गांव के लोग तो उसे बंदर यानी मंकी कहकर भी चिढ़ाया करते थे। कई लोगों ने दीप्ति के पिता को ये सलाह भी दी कि इसे किसी अनाथ आश्रम में छोड़ दो। लेकिन दीप्ति के पिता यधागिरी जीवनजी ने किसी की बातों पर ध्यान नहीं दिया और नतीजा आज सभी के सामने है।

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दीप्ति जीवनजी के पिता ट्रक क्लीनर

दीप्ति जीवनजी ने न सिर्फ अपने माता-पिता को बल्कि पूरे भारतवर्ष को पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता कर गौरान्वित किया। अपनी बेटी की बड़ी उपलब्धि के बाद जीवनजी के पिता यादगिरी भावुक हो गए। उन्होंने कहा- भले ही यह हम सभी के लिए एक बड़ा दिन है, लेकिन मैं काम से छुट्टी नहीं ले सकता था। यही मेरी रोजी-रोटी है और पूरे दिन मैं दीप्ति के पेरिस में पदक जीतने के बारे में सोचता रहा और ड्राइवर एल्फर से कहता रहा कि वह अन्य दोस्तों और उनके परिवारों को दीप्ति के पदक का जश्न मनाने के लिए बुलाए। उसने हमेशा हमें खुशी दी है और यह पदक भी हमारे लिए बहुत मायने रखेगा।

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Published By : Shubhamvada Pandey

पब्लिश्ड 4 September 2024 at 18:59 IST