अपडेटेड 18 July 2023 at 14:05 IST

'कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है', माता-पिता से किए वादे को इस तरह निभाया, यूंही नहीं यशस्वी बने जायसवाल

अपने माता-पिता के सपने और उन्हें एक बेहतर जिंदगी देने के लिए यशस्वी जायसवाल (Yashasvi jaiswal) 10 साल की उम्र में घर छोड़कर मायानगरी मुंबई (Mumbai) आ गए थे। 

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अपने क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए यशस्वी जायसवाल ने 10 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था। अपने माता-पिता के सपने और उन्हें एक बेहतर जिंदगी देने के लिए यशस्वी जायसवाल (Yashasvi jaiswal) घर छोड़कर मायानगरी मुंबई (Mumbai) आ गए थे। 

खबर से जुड़ी तीन अहम बातें:

  • यशस्वी जायसवाल ने डेब्यू टेस्ट में जड़ा शतक
  • सेंचुरी माता-पिता को की डेडिकेट
  • संघर्षों से भरी है यशस्वी की कहानी 

यशस्वी जायसवाल के पास अभी से कुछ साल पहले रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। उन्हें मुंबई आने के बाद बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वो जिस टेंट में रहते थे वहां वो सो नहीं पाते थे कभी मच्छर की वजह से तो कभी बारिश की वजह से। गर्मी-ठंडी ने यशस्वी का सारा सुकून छीन गया लेकिन कोई भी मुसीबत यशस्वी का हौसला नहीं तोड़ पाई। पने टेंट में बैठकर दूर जलती स्टेडियम की लाइट से क्रिकेटर बनने की उम्मीदों को परवान चढ़ाता रहा। 

इसी जिद और जुनून के दम पर सफलता की सीढ़ियां चढ़ता हुआ टीम इंडिया तक पहुंचा यूपी के भदोही का 21 साल का लड़का यशस्वी जायवाल। जायसवाल ने वो करानामा कर दिखाया जो बड़े-बड़े क्रिकेट के दिग्ग्ज नहीं कर पा रहे थे। यशस्वी जायसवाल ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में 150 से ज्यादा रन बनाए।

यशस्वी ने 10 सालों से परिवार के साथ नहीं मनाई दिवाली

आज भले ही हर तरफ उनके नाम की चर्चा हो रही है और उन्हें फ्यूचर स्टार माना जा रहा लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए इस खिलाड़ी ने अपना बचपन एक तरह से कुर्बान कर दिया। जिस उम्र में बच्चा माता-पिता से अपनी हर जिद पूरी करवाता है, उसी उम्र में यशस्वी ने पिता की जिद और अपने सपने को पूरा करने के लिए घर छोड़ दिया। इतना भर ही नहीं, यशस्वी ने अपनी जिंदगी को रोशन करने के लिए एक-दो नहीं, बल्कि 10 साल परिवार के साथ रोशनी का पर्व यानी दीवाली तक नहीं मनाई। 

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इसी के साथ सोशल मीडिया पर यशस्वी जायसवाल ने अपने माता-पिता की तस्वीर शेयर कर उनके त्याग, बलिदान और उनके प्यार का जिक्र किया। यशस्वी ने लिखा था, “मैं वहां पहुंचने की कोशिश कर रहा, जहां जाना चाहता हूं। आपके शब्द मुझे हर पल हार न मानने के लिए प्रेरित करते हैं और आपका ये कहना कि मत घबराओ तुम ये कर सकते हो, मुझमें नया जोश भर देता है। मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि आपने मुझे क्रिकेट खेलने का ये सपना दिखाया। ये आपका(पिता) सपना था, जिसे पूरा करने के लिए मैंने खेलना शुरू किया।”

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Published By : Shubhamvada Pandey

पब्लिश्ड 18 July 2023 at 14:05 IST