अपडेटेड 3 February 2024 at 16:58 IST

Yashasvi Jaiswal: पानीपुरी बेचना, घर ना होने पर मैदान में सोना, इतना आसान नहीं यशस्वी जायसवाल होना

इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मुकाबले में यशस्वी जायसवाल ने अपने टेस्ट करियर का पहला दोहरा शतक जड़ा। लेकिन यशस्वी जायसवाल का ये सफर इतना आसान नही था।

Follow : Google News Icon  
Yashasvi Jaiswal
Yashasvi Jaiswal | Image: WWE

Yashasvi Jaiswal Double Century in Test: यशस्वी जायसवाल सिर्फ नाम से ही नही बल्कि अपने काम से भी यशस्वी हैं। इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में शतक से चूकने के बाद यशस्वी जायसवाल ने दूसरे टेस्ट में कोई गलती न करते हुए दूसरे टेस्ट मुकाबले में इंग्लैंड के खिलाफ पहली पारी में अपने टेस्ट क्रिकेट का पहला दोहरा शतक जड़ा।

ये टीम इंडिया का सौभाग्य है कि टीम इंडिया के पास यशस्वी जायसवाल जैसा खिलाड़ी है जिसने 21 साल की उम्र में तेंदुकर, गावस्कर, कोहली और कई बड़े क्रिकेट दिग्गजों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। लेकिन यशस्वी जायसवाल का सफर कभी आसान नही रहा।

महज 10 साल की उम्र में छोड़ा घर  

यशस्वी के लिए सब कुछ इतना आसान नहीं था। महज 10 साल की उम्र घर छोड़कर मुंबई आकर भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों के बीच अपनी पहचान बनाने के लिए यशस्वी को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। क्रिकेटर बनकर देश के लिए खेलने का सपना उनके सामने कई चुनौतियां लेकर आया। यशस्वी नहीं रुके और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने के साथ-साथ कड़ी मेहनत करते रहे।

Yashasvi Jaiswal

यशस्वी जायसवाल ने डेयरी में भी किया काम

यशस्‍वी जायसवाल मूलतः यूपी के भदोही के रहने वाले हैं। उनका परिवार काफी गरीब था। पिता छोटी सी दुकान चलाते हैं। ऐसे में अपने सपनों को पूरा करने के लिए वे मुंबई चले आए। मुंबई में यशस्वी के पास रहने की जगह नहीं थी। यहां उनके चाचा का घर तो था लेकिन इतना बड़ा नहीं कि यशस्वी यहां रह पाते। परेशानी में घिरे यशस्वी एक डेयरी काम मिल गया, लेकिन बाद में उनका सामान उठाकर फेंक दिया गया और उन्हें डेयरी से बाहर निकाल दिया गया।

Advertisement
Yashasvi Jaiswal

रामलीला के समय गोलगप्पे बेचते थे यशस्वी

यशस्वी ने अपनी तकलीफों के बारे में कभी किसी को कुछ नहीं बताया, वजह ये थी कि कहीं संघर्ष की कहानी भदोही तक न पहुंचे, जाए और उनका क्रिकेट करियर ही खत्म हो जाए। तमाम जद्दोजेहद के बाद भटकते हुए यशस्वी को रहने का ठिकाना मिल गया, और ये ठिकाना था टेंट। कई साल तक यशस्वी टेंट में ही रहे। पिता कई बार पैसे भेजते लेकिन वो काफी नहीं होते। यशस्वी के संघर्ष का आलम ये था कि रामलीला के समय आजाद मैदान पर यशस्वी ने गोलगप्पे भी बेचे। कई रातें तो ऐसी भी गुजरीं जब यशस्वी को भूखा ही सोना पड़े।

Yashasvi Jaiswal Sell Golgappa

अपने संघर्ष के बारे में बात करते हुए यशस्वी ने कहा था कि, 'रामलीला के समय मेरी अच्छी कमाई हो जाती थी। मैं यही दुआ करता था कि मेरी टीम के खिलाड़ी वहां न आएं, लेकिन कई खिलाड़ी वहां आ जाते थे। मुझे बहुत शर्म आती थी। मैं हमेशा अपनी उम्र के लड़कों को देखता था, वो घर से खाना लाते थे। मुझे तो खुद बनाना था और खुद ही खाना था। टेंट में मैं रोटियां बनाता था। कई बार रात में परिवार की बहुत याद आती थी, मैं सारी रात रोता था।'

Advertisement

यशस्वी को सचिन तेंदुलकर ने गिफ्ट किया बैट

यशस्वी के दिन भी बदले और उनकी मुलाकात यूपी के रहने वाले ज्‍वाला सिंह से हुई। ज्वाला सिंह ने यशस्वी को गाइड किया जिसके बाद फिर स्‍थानीय क्रिकेट में यशस्‍वी के बल्‍ले की धमक सुनाई पड़ने लगी। सफर आगे बढ़ा और अंडर-19 खेलते हुए ही यशस्वी अर्जुन तेंदुलकर के संपर्क में आए। अर्जुन ने यशस्‍वी के बारे में पिता सचिन तेंदुलकर को बताया। यशस्‍वी की मेहनत से सचिन काफी प्रभावित हुए और उन्‍होंने अपने ऑटोग्राफ वाला बैट उन्‍हें गिफ्ट में दिया।

Sachin Tendulkar gift his signed bat

यशस्वी जायसवाल ने टेस्ट क्रिकेट में जड़ा पहला दोहरा शतक

भारत बनाम इंग्लैंड के बीच पांच मैच की टेस्ट सीरीज का दूसरा मुकाबला विशाखापट्टनम में खेला जा रहा है। मैच का दूसरा दिन भी यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) के नाम रहा। जिन्होंने विशाखापत्तनम टेस्ट के दूसरे दिन इंग्लैंड के खिलाफ रनों का अंबार लगाकर अपना पहला दोहरा शतक पूरा कर किया। 2024 में यशस्वी फिर से दुनिया को अपनी काबिलियत का परिचय दे रहे हैं।

यह भी पढ़ें- बूम-बूम बुमराह...जसप्रीत ने चलाया 'ब्रह्मास्त्र', ओली पॉप हुए 'गुमराह'; सोशल मीडिया पर उठी ये मांग - Republic Bharat

Published By : Shubhamvada Pandey

पब्लिश्ड 3 February 2024 at 16:21 IST