अपडेटेड 2 November 2025 at 20:16 IST
15 साल की उम्र में तोड़ा सचिन का रिकॉर्ड, रोहित शर्मा से होती है बराबरी, जानें कौन हैं फाइनल में 87 रन बनाने वाली शेफाली वर्मा
शेफाली का सफ़र आसान नहीं रहा। रोहतक में जब क्रिकेट खेलना शुरू किया, तो लड़की होने की वजह से कई दिक्कतें आईं। लेकिन इनके पिताजी ने इनका साथ दिया। कहते हैं, जब इन्हें अच्छी प्रैक्टिस नहीं मिली, तो इन्होंने बाल कटवाकर लड़कों के बीच क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया।
- खेल समाचार
- 2 min read

क्रिकेट के मैदान पर कुछ खिलाड़ी आते हैं और बस 'खेलते' हैं। लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो आते हैं और 'गर्दा' उड़ा देते हैं। हमारी हरियाणा की छोरी, शेफ़ाली वर्मा, दूसरी वाली लिस्ट में है। जब ये बैट उठाती हैं, तो गेंद को बाउंड्री पार जाने के लिए वीज़ा की ज़रूरत नहीं पड़ती। ये मारती कम हैं, कूटती ज़्यादा हैं!
छोटी उम्र, बड़ा धमाका!
हरियाणा के रोहतक की इस धाकड़ बैटर का जन्म हुआ 28 जनवरी 2004 को हुआ था। शेफाली ने महज़ 15 साल की उम्र में, महान सचिन तेंदुलकर का 30 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे कम उम्र में अर्धशतक लगाने वाली भारतीय बन गई थीं।
खेलने का स्टाइल: 'या आर या पार'
Advertisement
शेफाली के खेलने का अंदाज़ एकदम बिंदास और बेखौफ है। टी20 फॉर्मेट में इनके स्ट्राइक रेट को देखकर लगता है कि इन्होंने शायद 'डिफेंस' शब्द अपनी डिक्शनरी से निकाल ही दिया है। इनके शॉट्स में नज़ाकत नहीं, ताक़त दिखती है। फ्रंटफुट हो या बैकफुट, गेंद की बस एक ही जगह है – स्टैंड्स में! यही वजह है कि इन्हें 'लेडी रोहित शर्मा' भी कहा जाता है। इनको देखकर लगता है, "बॉस! ये बस छक्के मारने के लिए बनी हैं।"
इनका अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू 2019 में हुआ और उसके बाद से ये टीम इंडिया की सबसे भरोसेमंद और ज़रूरी खिलाड़ियों में से एक बन गईं। इनके नाम T20I में सबसे तेज़ 1000 रन बनाने वाली सबसे कम उम्र की प्लेयर होने का रिकॉर्ड है। सिर्फ T20 ही नहीं, टेस्ट मैच में भी 200+ रन की ऐतिहासिक पारी खेल कर इन्होंने साबित कर दिया कि ये लंबी रेस की खिलाड़ी हैं।
Advertisement
इन्होंने ICC U19 महिला T20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की कप्तानी की और देश को पहला महिला वर्ल्ड कप दिलाया।
रोहतक से वर्ल्ड कप तक का सफर
शेफाली का सफ़र आसान नहीं रहा। रोहतक में जब क्रिकेट खेलना शुरू किया, तो लड़की होने की वजह से कई दिक्कतें आईं। लेकिन इनके पिताजी ने इनका साथ दिया। कहते हैं, जब इन्हें अच्छी प्रैक्टिस नहीं मिली, तो इन्होंने बाल कटवाकर लड़कों के बीच क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। ये कहानी ही बताती है कि ये शेफाली कितनी जिद्दी और जुनूनी हैं।
आज शेफाली वर्मा सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं हैं, बल्कि भारत की उन लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं जो रूढ़िवादी सोच की 'बाउंड्री' तोड़कर अपने सपने पूरे करना चाहती हैं।
Published By : Subodh Gargya
पब्लिश्ड 2 November 2025 at 20:16 IST