अपडेटेड 22 August 2025 at 18:41 IST
मुझे हर पल लगता था मर जाऊंगा...रिपब्लिक भारत संवाद में मनजिंदर सिंह सिरसा ने बयां किया सिख दंगों का दर्द
Republic Bharat Samvad: मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि मैंने 1984 में वो दर्द झेला है जब लगता था कि बस आज मेरी दुनिया खत्म हो जाएगी। आपने उस घटना के बारे में बस पढ़ा है, लेकिन कोई भी उस पीड़ा को तब तक नहीं समझ सकता, जब तक कि उसने खुद उसको नहीं झेला हो।
- भारत
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Republic Bharat Samvad: रिपब्लिक भारत के कार्यक्रम नए भारत का शंखनाद 'संवाद' में मनोरंजन जगत से लेकर राजनीति जगत की कई बड़ी हस्तियां शामिल हुईं। दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने रिपब्लिक के मंच से अपने उस दर्द को बयां किया, जब वो मौत के मुंह से बाहर निकले थे। सिरसा ने 1984 में हुए सिख दंगे की वो कहानी बताई, जो आपको भी भावुक कर देगा।
मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि मैंने 1984 में वो दर्द झेला है जब लगता था कि बस आज मेरी दुनिया खत्म हो जाएगी। आपने उस घटना के बारे में बस पढ़ा है, लेकिन कोई भी उस पीड़ा को तब तक नहीं समझ सकता, जब तक कि उसने खुद उसको नहीं झेला हो।
मनजिंदर सिरसा ने बयां किया दर्द
दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने नए भारत का शंखनाद 'संवाद' कार्यक्रम में अपने दर्द को बयां करते हुए कहा कि मैं उस दौर से निकलकर आया हूं, जब एक मौत मुझे ढूंढ रहा था मारने के लिए और मेरा कसूर सिर्फ इतना था कि मैं एक सिख बच्चा था और उस सिख बच्चे को ढूंढा जा रहा था। 1 से लेकर 3 नवंबर तक वहां लोग हैवानियत का नंगा नाच कर रहे थे। मैं अपने उस शिक्षक का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मुझे अपने घर के चक्की के पीछे छिपाकर मेरी जान बचाई थी। मैं उस टीचर और उनके परिवार को सलाम करता हूं।
मनजिंदर सिंह सिरसा ने आगे कहा कि उस घटना के बाद मैंने ये प्रण ले लिया कि जिन भेड़ियों ने हमारे देश के अंडर बेकसूर सिखों को जिंदा जलाकर, गले में टायर से आग लगाकर मारने का काम किया, उन्हें किसी भी सूरत पर माफ नहीं किया जा सकता। अगर इन्हें छोड़ दिया तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा । मैं उस दिन से, जब भी मुझे मौका मिला दिल्ली में, मैं पहले दिन से इस लड़ाई को लड़ रहा हूं। मुझे बताते हुए ये अच्छा लग रहा है कि उन पीड़ित परिवारों के लिए हम निरंतर लड़े और वो जो भेड़ियों के बड़े सरदार थे उन्हें 40 साल बाद घरों से बाहर लेकर आए हैं और आज वो पिछले चार सालों से तिहाड़ जेल के अंदर हैं।
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1984 के सिख विरोधी दंगे
बता दें कि 1984 के सिख विरोधी दंगे, जिन्हें 1984 सिख नरसंहार के नाम से भी जाना जाता है, भारत में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों, सतवंत सिंह और बेअंत सिंह द्वारा हत्या के बाद सिखों के खिलाफ संगठित नरसंहारों की एक श्रृंखला थी। ये दंगे 31 अक्टूबर, 1984 को शुरू हुए और कई दिनों तक जारी रहे, जिसके परिणामस्वरूप व्यापक हिंसा और विनाश हुआ।
कार्यक्रम के Sponsors
𝐏𝐨𝐰𝐞𝐫𝐞𝐝 𝐁𝐲- 𝐂𝐚𝐧𝐚𝐫𝐚 𝐇𝐒𝐁𝐂 𝐥𝐢𝐟𝐞 𝐢𝐧𝐬𝐮𝐫𝐚𝐧𝐜𝐞 - 𝐏𝐫𝐨𝐦𝐢𝐬𝐞𝐬 𝐤𝐚 𝐏𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫
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𝐍𝐮𝐭𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐏𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫 - 𝐍𝐄𝐂𝐂
𝐒𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐏𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫- उत्तराखंड शासन.
𝐀𝐬𝐬𝐨𝐜𝐢𝐚𝐭𝐞 𝐏𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫- @rudraliferudraksha
𝐀𝐬𝐬𝐨𝐜𝐢𝐚𝐭𝐞 𝐏𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫- 𝐂𝐚𝐬𝐡 𝐠𝐨𝐥𝐝, 𝐂𝐚𝐬𝐡 𝐇𝐚𝐢 𝐓𝐨𝐡 𝐀𝐢𝐬𝐡 𝐇𝐚𝐢
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 22 August 2025 at 18:41 IST