अपडेटेड 7 March 2025 at 17:38 IST

भारतीय फुटबॉल की खराब स्थिति को भी उजागर करती है छेत्री की वापसी

सुनील छेत्री के 40 साल की उम्र में संन्यास से वापसी करने के फैसले को अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ ने बुद्धिमता पूर्ण करार दिया है।

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Sunil Chhetri
Sunil Chhetri | Image: PTI

सुनील छेत्री के 40 साल की उम्र में संन्यास से वापसी करने के फैसले को अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने भले ही बुद्धिमता पूर्ण करार दिया हो लेकिन इससे भारतीय फुटबॉल की खराब स्थिति का भी पता चलता है जहां एक अरब 40 करोड़ जनसंख्या वाले देश में एक अदद स्ट्राइकर तैयार नहीं हो पाया।

उस खिलाड़ी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है जिसने लगभग दो दशक तक राष्ट्रीय टीम को अपनी सेवाएं दी और भारत की तरफ से सर्वाधिक 94 गोल करके अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कहा था।

छेत्री ने पिछले साल मई में सन्यास की घोषणा की थी तब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक गोल करने वाले सक्रिय खिलाड़ियों की सूची में पुर्तगाल के स्टार स्ट्राइकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो और अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी के बाद तीसरे नंबर पर थे।

लेकिन छेत्री की उपलब्धियां अपनी जगह हैं और उनका संन्यास लेने के एक साल से भी कम समय में वापसी करने का फैसला चौंकाने वाला है और इससे भारतीय फुटबॉल को लेकर अच्छे संकेत नहीं गए।

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एआईएफएफ के अनुसार उन्हें राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच मनोलो मार्केज़ उन्हें संन्यास से वापसी करने के लिए मनाने में सफल रहे। मुख्य कोच ने उन्हें एएफसी एशिया कप 2027 के क्वालीफायर्स के अंतिम दौर के लिए टीम से जुड़ने का आग्रह किया था।

छेत्री अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने के बाद भी इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में बेंगलुरू एफसी की तरफ से खेलते रहे। वह इस टूर्नामेंट के वर्तमान सत्र में अभी तक 23 मैच में 12 गोल कर चुके हैं। उनके इस प्रदर्शन के कारण ही राष्ट्रीय कोच ने उन्हें राष्ट्रीय टीम से जुड़ने के लिए कहा।

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आईएसएल में उनके प्रदर्शन से एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे भी प्रभावित थे।

चौबे ने कहा, ‘सुनील की नेतृत्व क्षमता बेजोड़ है। उनके जैसा खिलाड़ी पूरी टीम को प्रेरित कर सकता है। आईएसएल में उनकी फॉर्म भी शानदार रही है। उन्होंने 12 गोल किए हैं और उनके जैसे स्ट्राइकर से भारत को काफी फायदा हो सकता है।’’

चौबे की तरह एआईएफएफ महासचिव अनिलकुमार पी और अपने जमाने के दिग्गज खिलाड़ी आईएम विजयन ने भी इस फैसले के सकारात्मक पक्ष पर ही ध्यान देना उचित समझा।

अनिलकुमार ने पीटीआई से कहा, ‘‘ हमारे विशेषज्ञों से हमें जो आंकड़े मिले उसके आधार पर सुनील छेत्री को टीम में शामिल करने का मुख्य कोच का फैसला बुद्धिमत्ता पूर्ण है। मौजूदा इंडियन सुपर लीग में छेत्री निरंतर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी वापसी से निश्चित तौर पर राष्ट्रीय टीम को मजबूती मिलेगी।’’

अपने जमाने के दिग्गज स्ट्राइकर और एआईएफएफ की तकनीकी समिति के प्रमुख विजयन से जब छेत्री की वापसी पर अपने विचार साझा करने के लिए कहा गया तो वह उत्साहित दिखे।

विजयन ने पीटीआई से कहा, ‘‘राष्ट्रीय टीम के दृष्टिकोण से यह अच्छा फैसला है। आप मुझसे पूछ रहे हैं कि आप एक 40 वर्षीय खिलाड़ी को राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने के लिए वापस बुला रहे हैं, लेकिन अतीत में भी इसी तरह के उदाहरण सामने आए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप रोजर मिल्ला को देखें, जिन्होंने (38 साल की उम्र में) संन्यास से वापसी करके कैमरून को 1990 विश्व कप के क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में मदद की थी। उम्र कोई कारक नहीं है, फिटनेस मायने रखती है और सुनील बेहद फिट हैं और वह बहुत अच्छा खेल भी रहे हैं।’’

विजयन ने हालांकि स्वीकार किया कि अच्छे स्ट्राइकर का अभाव भारतीय फुटबॉल के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अच्छे स्ट्राइकर की तलाश करने के लिए अपनी तरफ से भरसक प्रयास कर रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य से हमें अभी तक सफलता नहीं मिली है। आईएसएल में खेल रहे अधिकतर स्ट्राइकर विदेशी हैं। यही मौजूदा स्थिति है।’’

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Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 7 March 2025 at 17:38 IST