समाजवाद और सेक्युलरिज्म ये दो शब्द उस समय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए थे जब देश में आपातकाल लागू था और सत्ता इंदिरा गांधी के हाथों में थी। अब इन शब्दों को संविधान से हटाने की मांग उठने लगी है, और ये मांग आरएसएस के नंबर दो पद पर मौजूद दत्तात्रेय होसबोले ने की है। आरएसएस का तर्क है कि बाबा साहेब आंबेडकर के मूल संविधान में ये शब्द शामिल नहीं थे, बल्कि आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों को कुचलते हुए इन्हें जबरन जोड़ा गया था।