मोदी ने दिखा दी ताकत!
जनता देख भी रही है, समझ भी रही है कि कौन कितने पानी में है? जिन पार्टियों के वादे बुलबुले होंगे. उनका 2024 में विलुप्त होना तय लग रहा है. क्योंकि ये पब्लिक है, सब जानती है. और पब्लिक की आवाज क्या कहती है. उसे आपको भी सुनना चाहिए . पीएम मोदी का कॉन्फिडेंस यूं ही नहीं है.दरअसल, उनमें पब्लिक सेंटीमेंट पकड़ने की क्षमता है. यही वजह है कि पीएम अब ताल ठोक कर बोल रहे हैं कि ये नारा बीजेपी का नहीं बल्कि जनता का है . लेकिन INDI के नेता ऐसे ख्यालों में गुम है कि जिसका सिरा अब तक पता नहीं चल रहा है.जब भी उन्हें कानूनी या फिर सियासी झटका मिलता है तो वो बीजेपी को बददुआ देने लगते हैं। वैसे जब से अयोध्या में रामलला विराजमन हुए हैं इंडी गठबंधन के पतन की उल्टी गिनती होती दिख रही है.ऐसे में सवाल ये है कि क्या इंडी गठबंधन के नेता 2024 में ब्रांड मोदी को चुनौती दे पाएंगे. सवाल ये भी है कि जो सियासी पार्टियां महिलाओं की सुरक्षा नहीं कर सकती. अपनी पार्टी को एकजुट नहीं रख सकती क्या वो देश के लोगों के साथ इंसाफ कर पाएगी. और सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर 2024 में मोदी नहीं तो फिर कौन?
जनता देख भी रही है, समझ भी रही है कि कौन कितने पानी में है? जिन पार्टियों के वादे बुलबुले होंगे. उनका 2024 में विलुप्त होना तय लग रहा है. क्योंकि ये पब्लिक है, सब जानती है. और पब्लिक की आवाज क्या कहती है. उसे आपको भी सुनना चाहिए . पीएम मोदी का कॉन्फिडेंस यूं ही नहीं है.दरअसल, उनमें पब्लिक सेंटीमेंट पकड़ने की क्षमता है. यही वजह है कि पीएम अब ताल ठोक कर बोल रहे हैं कि ये नारा बीजेपी का नहीं बल्कि जनता का है . लेकिन INDI के नेता ऐसे ख्यालों में गुम है कि जिसका सिरा अब तक पता नहीं चल रहा है.जब भी उन्हें कानूनी या फिर सियासी झटका मिलता है तो वो बीजेपी को बददुआ देने लगते हैं। वैसे जब से अयोध्या में रामलला विराजमन हुए हैं इंडी गठबंधन के पतन की उल्टी गिनती होती दिख रही है.ऐसे में सवाल ये है कि क्या इंडी गठबंधन के नेता 2024 में ब्रांड मोदी को चुनौती दे पाएंगे. सवाल ये भी है कि जो सियासी पार्टियां महिलाओं की सुरक्षा नहीं कर सकती. अपनी पार्टी को एकजुट नहीं रख सकती क्या वो देश के लोगों के साथ इंसाफ कर पाएगी. और सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर 2024 में मोदी नहीं तो फिर कौन?