अपडेटेड 17 August 2024 at 16:01 IST
Sawan Somwar Udyapan: सावन के आखिरी सोमवार पर उद्यापन करना क्यों हैं जरूरी? जानें तिथि और विधि
Somwar Udyapan: अगर आप भी सावन सोमवार का व्रत रखते हैं, आइए जानते हैं इसका उद्यापन करना जरूरी क्यों होता है और इसकी विधि क्या है?
- धर्म और अध्यात्म
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Sawan Somwar Udyapan Vidhi: इन दिनों देवों के देव महादेव को समर्पित सावन का महीना चल रहा है। इसकी शुरुआत 22 जुलाई 2024 दिन सोमवार से हुई थी, जिसका समापन 19 जुलाई 2024 दिन सोमवार को होगा। इस पूरे महीने भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना के साथ ही सावन सोमवार व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि सावन में सोमवार का व्रत रखने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही जीवन की कई समस्याएं भी दूर होती है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सावन सोमवार के आखिरी व्रत पर इसका उद्यापन करना भी जरूरी होता है।
इस साल सावन माह का आखिरी सोमवार व्रत 19 अगस्त 2024 को रखा जाएगा। इसके बाद भाद्रपद यानी भादो को महीना शुरू हो जाएगा। वहीं इस साल सावन का आखिरी सोमवार बहुत ही खास है, क्योंकि सावन का आखिरी और पांचवा सोमवार पूर्णिमा तिथि पर पड़ रहा है और इस दिन रक्षाबंधन का भी त्योहार मनाया जाएगा। तो चलिए जानते हैं कि सावन के आखिरी सोमवार पर उद्यापन करना क्यों जरूरी होता है और इसकी विधि क्या है?
क्यों जरूरी है सावन माह के सोमवार व्रत का उद्यापन?
धार्मिक मान्यता के मुताबिक सावन माह के सोमवार व्रत का उद्यापन किए बिना आपका यह व्रत पूरा नहीं माना जाता है और ना ही आपको इसका संपूर्ण लाभ मिलता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ ही चंद्रमा की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि इस दिन उद्यापन विधि क्या है?
सोमवार व्रत उद्यापन सामग्री (Somwar Vrat Udyapan Samagri)
- शिवजी और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर
- लकड़ी की चौकी
- चंदन
- गंगालजल
- घी
- लाल कपड़ा
- फूल
- दीपक
- अक्षत
- बेलपत्र
- पान
- सुपारी
- फल
- रोली
- मौली
- धूप
- कपूर
- बाती
- पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, शहद, घी, मिश्री या गुड़
सावन सोमवार उद्यापन विधि (Somwar Vrat Udyapan Vidhi)
- सोमवार व्रत का उद्यापन करने के लिए सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- पूजा शुरू करने से पहले पूजास्थल को गंगाजल छिड़कर शुद्ध करें।
- इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं और माता पार्वती को सिंदूर कुमकुल लगाएं।
- धूप-दीप जलाकर उन्हें फूल, फल, पान, सुपारी, मौली आदि चीजें अर्पित करें।
- इसके साथ ही भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि भी अर्पित करें।
- अब शिवजी और माता पार्वती को पंचामृत का भोग लगाएं।
- इसके बाद शिवजी की आरती कर मनचाहा फल पाने की कामना करें।
- पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन, दक्षिणा या वस्त्र दान कर उद्यापन को पूरा करें।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 17 August 2024 at 16:01 IST