अपडेटेड 9 November 2024 at 16:53 IST

कब और क्यों मनाई जाती है Dev Deepawali? इस दिन कहां और कितने जलाने चाहिए दीये

Dev Deepawali 2024: हिंदू धर्म में देव दिवाली का बेहद खास महत्व माना जाता, लेकिन क्या आप जानते हैं यह कब और क्यों मनाई जाती है? नहीं... तो चलिए जानते हैं।

Dev Deepawali
कब और क्यों मनाई जाती है देव दीपावली? | Image: AI

Kab Aur Kyo Manayi Jati Hai Dev Deepawali: हिंदू धर्म में जिस तरह से दिवाली ( Diwali ) का खास महत्व माना जाता है और इसकी धूम पूरे देश के साथ-साथ अयोध्या में देखने को मिलती है, ठीक उसी तरह से देव दीपावली (Dev Deepawali) भी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन भी चारों तरफ दीये जलाए जाते हैं। इस खास पर्व पर काशी (Kashi) और बनारस (Bnaras) दीयों की रोशनी में जगमगाता है। मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता (Devi-Devta) धरती पर उतरते हैं। इसलिए लोग देवताओं के स्वागत में खुशी के दीए उनकी राहों में जलाते हैं और खुशियां मनाते हैं। हालांकि बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि यह पर्व कब और क्यों मनाया जाता है (Kab Aur Kyo Manayi Jati Hai Dev Deepawali) ? आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।

देव दिवाली (Dev Deepawali 2024) एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की जीत और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह त्योहार कार्तिक महीने की पूर्णिमा (kartik Purnima) के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवंबर या दिसंबर में पड़ता है। इस पर्व की शुरुआत देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi ) के दिन से हो जाती है, जो कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि तक चलती है। आइए जानते हैं कि यह पर्व क्यों मनाया जाता है?

क्यों मनाया जाता है देव दीपावली का त्योहार? (Why celebrated Dev Diwali?)

देव दिवाली (Dev Diwali) का उल्लेख हिंदू पुराणों में मिलता है, जिसमें बताया गया है कि भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस (
Tripurasura Rakshash) को पराजित किया था। बता दें कि त्रिपुरासुर एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसने देवताओं और मनुष्यों को परेशान करना शुरू कर दिया था। भगवान शिव ने उसे पराजित करने के लिए अपने त्रिशूल से त्रिपुरासुर के तीन शहरों को नष्ट कर दिया और राक्षक का भी वध कर दिया था। वहीं त्रिपुरासुर के आंतक से मुक्ति मिलने की खुशी में देवी-देवता भगवान शिव के धाम काशी पहुंचे और शिव जी का धन्यवाद करते हुए गंगा किनारे दीप प्रज्जवलित किए और पूरी रात धूप-दीप के साथ उत्सव मनाया। कहते हैं कि तभी से देव दीपावली (Dev Deepawali) मनाने की परंपरा शुरू हुई जो आज तक चली आ रही है।

Dev Deepawali पर कहां और कितने दीये जलाने चाहिए?

धार्मिक मान्यता के मुताबिक देव दीपावली (Dev Deepawali) के दिन घर के मंदिर, घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीये जरूर जलाने चाहिए। इस दिन देवी-देवता और घर के इष्ट देव के नाम का दीपक जलाना ने भूलें। कहते हैं कि इस दिन 11, 21, 51 या 108 दीया जलाएं। हालांकि अगर आप चाहे तो इससे ज्यादा भी जला सकते हैं। वहीं इस दिन भगवान शिव, माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की विधिवत पूजा अर्चना भी की जाती है। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 9 November 2024 at 16:53 IST