अपडेटेड 30 July 2025 at 16:48 IST
Premanand Maharaj: जब आपके जीवन में बुरा वक्त चल रहा हो तो क्या करना चाहिए? प्रेमानंद महाराज ने बताया दुख कम करने का तरीका
संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि संत तुकाराम जी महाराज कहते थे जब मन दुखी हो तो उसे नाम में समर्पित कर देना चाहिए। बोलने से हल्का नहीं होगा, रोने से नहीं बुझेगा। केवल राम नाम से ही शांति मिलेगी।
- धर्म और अध्यात्म
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Premanand Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ने कहते हैं कि अपना दुख लोगों से कहना बंद करो, यह बात कहने में जितनी साधारण लगती है, उतनी ही गहरी है। हम में से अधिकतर लोग जब भी कोई कष्ट आता है तो दौड़ पढ़ते हैं किसी को सुनने के लिए, किसी को फोन कर देंगे, किसी को रोकर बता देंगे, किसी के सामने अपना दुख बता देंगे। पर क्या उसे दुख कम हो गया? नहीं, बल्कि मन और भारी हो गया।
संत प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं जिसने दुःख सहकर प्रभु का स्मरण किया, वही सच्चा साधक हुआ और जिसने दुख को दुनियादारी की बातचीत में उड़ेल दिया वह कभी भी उस आत्म बल को प्राप्त नहीं कर पाया। जब तुम किसी से अपने दुख कहते हो तो तीन नुकसान होते हैं।
अपना दुख दूसरों को बताने के नुकसान
पहला- सामने वाला तुम्हारा दुख सुनकर खुश भी हो सकता है, इस दुनिया में सब तुम्हारे हितैषी नहीं है, कुछ तो ऐसे होते हैं जो तुम्हारी तकलीफ में भीतर से मुस्कुरा रहे होते हैं।
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दूसरा- जब तुम बार-बार किसी से अपनी परेशानी कहते हो तो वह व्यक्ति तुम्हें कमजोर मानने लगता है। भले ऊपर से कुछ ना कहे हैं लेकिन भीतर से सोचता है और इसका मन बहुत कमजोर है यह तो हर बात पर टूट जाता है।
तीसरा- हर बार दुख कहने से वह बात तुम्हारे मन में और गहरी बैठ जाती है। तुम्हें लगेगा कि कह देने से हल्का हो गया पर सच्चाई यह है बार-बार बोलने से वह पीड़ा स्थाई रूप से तुम्हारी चेतना में बस जाती है। संत तुकाराम जी महाराज कहते थे जब मन दुखी हो तो उसे नाम में समर्पित कर देना चाहिए। बोलने से हल्का नहीं होगा, रोने से नहीं बुझेगा। केवल राम नाम से ही शांति मिलेगी।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 30 July 2025 at 16:48 IST