अपडेटेड 18 May 2025 at 08:50 IST

Vat Savitri 2025: बरगद के पेड़ के बिना इस विधि से करें वट सावित्री व्रत की पूजा

Vat Savitri vrat 2025: अगर वट सावित्री की पूजा के लिए आपके पास बरगद का पेड़ नहीं हैं तो आप इस तरह से पूजा कर सकते हैं।

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Vat Savitri Vrat
वट सावित्री व्रत | Image: freepik ai

Vat Savitri vrat 2025: सनातन धर्म में हर तीज-त्योहार का बेहद खास महत्व होता है। इन्हीं में से एक व्रत वट सावित्री का भी होता है, इस व्रत का इंतजार सुहागिन महिलाएं सालभर करती हैं। पति की लम्बी उम्र और बेहद स्वास्थ्य के लिए विवाहित महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास करती हैं। पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। जो कि इस बार 26 मई को रखा जाएगा।

इस दिन मुख्य रूप से वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। हालांकि कई बार ऐसा होता है कि महिलाओं को अपने आस-पास बरगद का पेड़ नहीं मिल पाता है। ऐसे में उन्हें निराश नहीं होना चाहिए। बरगद का पेड़ न मिलने पर भी वह वट सावित्री व्रत की पूजा कर सकती हैं। आइए जानते हैं कि सुहागिन महिलाएं बिना बरगद के पेड़ के किस तरह से वट सावित्री व्रत की पूजा कर सकती हैं।

बरगद के पेड़ के बिना कैसे करें वट सावित्री व्रत की पूजा?

वट सावित्री व्रत के दिन पूजा करने के लिए अगर आपके आस-पास कहीं बरगद का पेड़ नहीं है तो आप व्रत से एक दिन पहले बरगद के पेड़ की टहनी मंगवाकर वट सावित्री व्रत के दिन इस पेड़ की पूजा कर सकती हैं। हालांकि अगर आपको पूजा के लिए बरगद के पेड़ की टहनी भी नहीं मिलती है तो आप इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा भी कर सकते हैं। दरअसर, तुलसी माता को लक्ष्मी माता का स्वरूप माना जाता है, ऐसे में इनकी पूजा करने से आपको इस व्रत का पूरा फल मिलेगा।

वट सावित्री व्रत की  पूजा विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi)

  • वट सावित्री के मौके पर सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद जल, दूध, रोली, चावल, फूल, फल, धूप, दीप, सिंदूर, मौली, कथा पुस्तक आदि
  • इन सभी सामग्री को लेकर वट वृक्ष के पास जाएं और किसी स्थान को अच्छी तरह से साफ करें।
  • अब जल, दूध और गंगाजल से वट वृक्ष की जड़ों में अर्घ्य दें।
  • हल्दी, रोली और सिंदूर से पेड़ की जड़ पर तिलक करें और फूल चढ़ाएं।
  • वट वृक्ष के चारों ओर मौली या सूत 7 या 21 बार परिक्रमा करते हुए लपेटें।
  • अब सावित्री-सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें।
  • अब वट वृक्ष के समीप दीपक और धूप जलाएं।
  • वट वृक्ष की और सावित्री-सत्यवान की आरती करें।
  • अंत में पति से आशीर्वाद लें और सुहाग सामग्री दान करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 18 May 2025 at 08:50 IST