अपडेटेड 17 April 2025 at 10:37 IST

Varuthini Ekadashi 2025: 23 या 24 अप्रैल, कब है वरूथिनी एकादशी? जानिए सही डेट, मुहूर्त और पूजा विधि

Varuthini Ekadashi 2025 Date And Muhurat: आइए जानते हैं कि वरूथिनी एकादशी का व्रत किस तारीख को रखा जाएगा।

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Ekadashi 2024
वरूथिनी एकादशी | Image: unsplash

Varuthini Ekadashi 2025 Date: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बेहद खास महत्व होता है। साल में 24 और महीने में दो एकादशी तिथि पड़ती हैं जिनके नाम अलग-अलग होते हैं। हालांकि सभी एकादशी तिथि पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना किए जाने का विधान है। कहते हैं जो व्यक्ति एकादशी तिथि के दिन व्रत कर विष्णुजी की श्रद्धाभाव से पूजा करता है उसके सभी दुखों का नाश हो जाता है।

वहीं, वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) का व्रत किया जाता है। ऐसे में इसकी तारीख को लेकर लोग काफी कंफ्यूज्ड हैं। चलिए हम यहां आपको बताते हैं कि वरूथिनी एकादशी का व्रत 23 या 24 अप्रैल में से किस तारीख को रखा जाएगा।

वरूथिनी एकादशी 2025 डेट (Varuthini Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 अप्रैल को शाम 04 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 24 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक वरूथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल (Kab Hai Varuthini Ekadashi 2025) को किया जाएगा।

वरूथिनी एकादशी 2025 मुहूर्त (Varuthini Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 19 मिनट से 05 बजकर 03 मिनट तक।
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक।
  • शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 25 मिनट तक।

वरूथिनी एकादशी 2025 पारण समय (Varuthini Ekadashi 2025 Paran time)

वरूथिनी एकादशी का व्रत का पारण द्वादशी तिथि यानी  25 अप्रैल को किया जाएगा। इस दिन व्रत पारण का समय सुबह 05 बजकर 46 मिनट से सुबह 08 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस बीच आप एकादशी व्रत का पारण कर सकते हैं।

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वरूथिनी एकादशी की पूजा विधि (Varuthini Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

  • वरूथिनी एकादशी की पूजा की तैयारी एक दिन पहले शुरू हो जाती है।
  • व्रत से एक दिन पहले पूजा के स्थान को गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध किया जाता है।
  • इसके बाद उस जगह पर सप्त अनाज रखा जाता है। अब किसी भी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
  • अब पूजा स्थल पर सप्त अनाज के ऊपर तांबे या मिट्‌टी का कलश स्थापित करें। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर लगाएं।
  • अब भगवान विष्णु को धूप, दीप, चंदन, फल-फूल और तुलसी आदि अर्पित करें।
  • पूजा के बाद वरूथिनी एकादशी की कथा का पाठ करें और भगवान विष्णु को किसी मिष्ठान का भोग लगाएं।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 17 April 2025 at 10:37 IST