अपडेटेड 3 November 2025 at 14:01 IST

Vaikuntha Chaturdashi 2025 Stotra: बैकुंठ चतुर्दशी के दिन जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, मिलेगा भगवान विष्णु और भोलेनाथ का आशीर्वाद

Vaikuntha Chaturdashi 2025 Stotra: बैकुंठ चतुर्दशी का दिन बेहद सौभाग्यशाली माना जाता है। इस दिन भगवान शिव श्रीहरि को कार्यभार सौंपते हैं। अब ऐसे में इस दिन ऐसा स्तोत्र है, जिसक पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

Vaikuntha Chaturdashi 2025 Stotra
Vaikuntha Chaturdashi 2025 Stotra | Image: Freepik
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Vaikuntha Chaturdashi 2025 Stotra: बैकुंठ चतुर्दशी से आशय है वैकुंठ में स्थान दिलाने वाला चतुर्दशी। इस कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन आता है और देव दिवाली से पहले पड़ता है। इस दिन ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव स्वयं भगवान विष्णु से बैंकुठ धाम जाने का मार्ग प्राप्त किया था। इसलिए इस दिन को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन विष्णु जी के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा विधिवत रूप से की जा है। इस दिन मर्णिकर्णिका स्नान भी विधिवत रूप से किया जाता है। अब ऐसे में इस दिन एक ऐसा स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं। 

कब है बैकुंठ चतुर्दशी? 

बैकुंठ चतुर्दशी मुहूर्त का आरंभ 3 नवंबर सोमवार यानी कि आज रात 2 बजकर 6 मिनट से होगा। वहीं, 4 नवंबर, मंगलवार को रात में 11 बजकर 37 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। ऐसे में बैकुंठ चतुर्दशी 4 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 35 मिनट से लेकर 7 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। 

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन करें नारायण स्तोत्र का पाठ 

नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥
करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥
घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा॥
यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥
पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना॥
मंजुलगुंजा गुं भूषा मायामानुषवेषा॥
राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका॥
मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा॥
बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा॥
वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा॥
जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा॥
पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर॥
अधबकक्षयकंसारेकेशव कृष्ण मुरारे॥
हाटकनिभपीताम्बर अभयंकुरु मेमावर॥
दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा॥
गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा॥
शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा॥
विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा॥
ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा॥
जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला॥
दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा॥
मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा॥
वालिविनिग्रहशौर्यावरसुग्रीवहितार्या॥
मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर॥
जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा॥
ताटीमददलनाढ्या नटगुणगु विविधधनाढ्या॥
गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन॥
स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा॥
अचलोद्घृतिद्घृञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर॥
नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा॥
भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर॥

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विष्णु मंत्र

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः। मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः।।
भगवान विष्णु की स्तुति
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥

नारायण स्तोत्र का पाठ करने का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि नारायण स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है और व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। 

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Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 3 November 2025 at 13:48 IST