अपडेटेड 1 November 2025 at 16:19 IST

Tulsi Vivah 2025: मां तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह का महत्व क्या है? जानें तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सामग्री से जुड़ी पूरी जानकारी

Tulsi Vivah 2025 Kab Hai: तुलसी विवाह प्रेम, समर्पण और पवित्रता का उत्सव है। बता दें कि जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत और विवाह का आयोजन करते हैं, उनके जीवन में देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है।

tulsi vivah 2025 significance puja Vidhi samagri shubh muhurat bhagwan shaligram lord Vishnu
tulsi vivah 2025 significance puja Vidhi samagri shubh muhurat bhagwan shaligram lord Vishnu | Image: Freepik
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Significance Of Tulsi Vivah:हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन मां तुलसी और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम जी का विवाह संपन्न कराया जाता है। माना जाता है कि इस दिन से देवताओं की नींद खुल जाती है और विवाह व शुभ कार्यों की शुरुआत भी इसी दिन से होती है।

तुलसी विवाह का महत्व

  • तुलसी विवाह को धार्मिक रूप से बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन तुलसी विवाह कराते हैं, उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • तुलसी विवाह करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
  • जिन लोगों की शादी में बाधा आती है, उन्हें इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन करना चाहिए।
  • यह विवाह देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पवित्र मिलन का प्रतीक है, जो जीवन में प्रेम, सौभाग्य और समर्पण का संदेश देता है।
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तुलसी विवाह 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। द्वादशी तिथि का आरंभ 2 नवंबर रविवार को सुबह 07 बजकर 31 मिनट से लेकर द्वादशी तिथि का समापन 3 नवंबर सोमवार को सुबह 05 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।

शुभ मुहूर्त:

  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 35 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक।
  • विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक।
  • अमृत काल - सुबह 09 बजकर 29 मिनट से 11 बजकर 00 मिनट तक।

तुलसी विवाह की पूजा विधि

विवाह स्थल तैयार करें:

तुलसी के पौधे को साफ जगह पर रखें और उसके चारों ओर रंगोली बनाएं।

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शालिग्राम जी को विराजित करें:

एक लकड़ी की चौकी पर भगवान शालिग्राम या विष्णु जी की मूर्ति रखें।

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सजावट करें:

तुलसी माता को साड़ी, गहने और फूलों से सजाएं। शालिग्राम जी को धोती और माला पहनाएं।

मंत्रोच्चारण और आरती:

विवाह के समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

कन्यादान और फेरे:

तुलसी और शालिग्राम जी का प्रतीकात्मक विवाह करवाएं। इसमें परिवार के सभी सदस्य शामिल हों।

प्रसाद वितरण:

अंत में प्रसाद बांटें और परिवार में मंगल गीत गाएं।

तुलसी विवाह के लिए आवश्यक सामग्री

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  • तुलसी का पौधा
  • शालिग्राम जी या विष्णु जी की मूर्ति
  • लाल या पीली साड़ी
  • फूलों की माला
  • हल्दी, चावल, रोली, कपूर
  • दीपक और घी
  • नारियल, मिठाई और फल
  • चौकी और नया वस्त्र

तुलसी विवाह से मिलने वाले लाभ

  • घर में धन और समृद्धि का आगमन होता है।
  • पारिवारिक कलह दूर होकर सुख-शांति बनी रहती है।
  • शादी में हो रही देरी या बाधा दूर होती है।
  • वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।

तुलसी विवाह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह प्रेम, समर्पण और पवित्रता का उत्सव है। जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत और विवाह का आयोजन करते हैं, उनके जीवन में देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Samridhi Breja

पब्लिश्ड 1 November 2025 at 16:19 IST