अपडेटेड 1 November 2025 at 12:52 IST
Tulsi Vivah Vidhi: रविवार के दिन तुलसी को नहीं लगाते हाथ, तो बिना छुए कैसे करें विवाह? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Tulsi Vivah Vidhi 2025: हिंदू धर्म में रविवार के दिन तुलसी में जल अर्पित करना वर्जित माना जाता है। तो अब सवाल है कि तुलसी विवाह भी उसी दिन है तो शालीग्राम के साथ विवाह कैसे करें? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Tulsi Vivah Vidhi 2025: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पावन पर्व मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह का उत्सव होता है। इस विवाह के साथ ही चातुर्मास समाप्त हो जाता है और विवाह आदि सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इस वर्ष, तुलसी विवाह 2 नवंबर रविवार को पड़ रहा है, जिससे कई लोगों के मन में यह सवाल है कि रविवार के दिन तुलसी को हाथ लगाए बिना विवाह कैसे करें? आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है?
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 2 नवंबर 2025 को सुबह 07 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 3 नवंबर 2025 को सुबह 05 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार तुलसी विवाह 2 नवंबर 2025, रविवार को किया जाएगा।
- गोधूलि वेला - शाम 05 बजकर 35 मिनट से शाम 06 बजकर 01 मिनट तक (मुख्य पूजा का समय)
- अमृत काल - सुबह 09 बजकर 29 मिनट से 11 बजे तक
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक
रविवार को तुलसी को हाथ लगाए बिना कैसे करें विवाह?
- शास्त्रों में मान्यता है कि रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को स्पर्श नहीं करना चाहिए और न ही पत्ते तोड़ने चाहिए। ऐसे में जब तुलसी विवाह का शुभ दिन रविवार को पड़ रहा हो, तो पूजा विधि में इन बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है।
रविवार के दिन तुलसी के पौधे को स्पर्श किए बिना, आप जल केवल उनके गमले की मिट्टी में अर्पित कर सकते हैं। - विवाह की सभी सामग्री जैसे चुनरी, चूड़ी, सिन्दूर, रोली, चंदन, वस्त्र आदि तुलसी माता को दूर से ही अर्पित करें। उन्हें स्पर्श न करें।
- तुलसी विवाह के लिए मंडप, साफ-सफाई, रंगोली और गन्ने का मंडप बनाने का कार्य, तुलसी को वस्त्र पहनाने का कार्य एक दिन पहले आज ही कर लें।
- विवाह की रस्में निभाते समय भी शालिग्राम जी और तुलसी माता के पौधे को स्पर्श न करें। फेरे के समय आप उनकी परिक्रमा दूर से कर सकते हैं।
- पूजा के अंत में तुलसी माता से हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना करें कि अनजाने में कोई भूल न हुई हो।
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रविवार के दिन तुलसी की पूजा किस विधि से करें?
- रविवार को तुलसी को न छूते हुए, पहले से ही तुलसी के पौधे को स्वच्छ करें। तुलसी जी को लाल चुनरी, सुहाग की सामग्री मेहंदी और आभूषण से सजाएं। गमले पर गेरू और हल्दी लगाएं।
- तुलसी के गमले के चारों ओर गन्ने से सुंदर मंडप बनाएं। आंगन या पूजा स्थान पर रंगोली बनाएं।
- एक चौकी पर भगवान शालिग्राम को पीले वस्त्र बिछाकर तुलसी के पौधे के दाहिनी ओर स्थापित करें। शालिग्राम जी को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें वस्त्र, चंदन और जनेऊ अर्पित करें।
- शुभ मुहूर्त में तुलसी और शालिग्राम जी को रोली/कुमकुम और चंदन का तिलक लगाएं। उन्हें भोग अर्पित करें।
- हाथ में फूल या हल्दी के अक्षत लेकर, मन ही मन मंत्रों का जाप करते हुए तुलसी और शालिग्राम जी के सात फेरे की रस्म पूरी करें। मंगल गीत गाएं और कपूर से दोनों की आरती करें।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 1 November 2025 at 12:52 IST