अपडेटेड 24 November 2025 at 23:42 IST
Mangal Dosha Upay: क्या आपकी कुंडली में मंगल है कमजोर, जरूर करें इस चालीसा का पाठ; जानें नियम
Mangal Dosha Upay: क्या आपकी कुंडली में मंगल दोष है तो हम आपको इस लेख में मंगल चालीसा का पाठ करने के बारे में बताएंगे। जिससे मंगल के अशुभ प्रभाव कम हो सकते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Mangal Dosha Upay: ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को विशेष स्थान प्राप्त है। इसे ऊर्जा, साहस, पराक्रम, भूमि और विवाह का कारक माना जाता है। लेकिन यही मंगल जब किसी जातक की कुंडली में कमजोर होता है या फिर 'मंगल दोष' का निर्माण करता है, तो जीवन में कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं।क्या आप बार-बार असफलता, वैवाहिक जीवन में कलह, देरी से विवाह, या अनावश्यक क्रोध का अनुभव कर रहे हैं? हो सकता है कि आपकी कुंडली में मंगल कमजोर है तो आपको परेशान होनी की जरूरत नहीं है। आइए हम आपको इस लेख में विस्तार से मंगल चालीसा का पाठ करने के बारे में बताएंगे। जिससे आपको शुभ परिणाम मिल सकते हैं।
मंगल दोष क्या है?
जब किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह पहले लग्न,चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, तो इसे मांगलिक दोष कहा जाता है।यह दोष मुख्य रूप से विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में तनाव, तलाक, क्रोध की अधिकता, रक्त संबंधी समस्याएं और करियर में रुकावटें पैदा करता है।
मंगल दोष से छुटकारा पाने के लिए करें पाठ
॥दोहा॥
जय-जय मंगल मोर, कृपा करो गुरु देव।
संकट सब हर हरो, करि मंगल सदा सेव॥
॥चौपाई॥
जय मंगल ग्रह मुनि पूजित, शुभ फल दायक नाथ।
धातु रुधिर अधिदेव तम, शरणागत करे त्राण॥
रक्तवर्ण तन सुंदर, मस्तक मुकुट विराजत।
गदाहस्त त्रिनयन मनोहर, मंगल शुभफलदायक॥
अमित तेज, बल, मोह नाशक, पिंगल तन अति शोभित।
धरणी पुत्र अति, वैभवशाली, पाप-ताप सब हर्ता॥
अस्त्र, शस्त्र, गदा धारण कर, रजत सिंह पर सवार।
सप्त धातु का हो प्रदाता, वैद्य, विद्या सुधाकर॥
न्यायप्रिय, धर्मरत, भूतिहारी, मंद गति से विख्यात।
कुंडली दोष, अशुभ प्रभाव, जीवन में सब हरता॥
राजस्थान पूजित शिरोमणि, गुरु ग्रह का आभासक।
भक्त जनों का संकट हरते, तुम शुभ मंगलकारी॥
बुद्धिवर्धक, ज्ञानदायक, धर्म-अर्थ-काम प्रदायक।
तृण-ताप, विपदा हरो, करि सुखदायक मंगल॥
महाबली वीर विक्रम, तापत्रय हरो अपार।
मंगल ग्रह की कृपा से, सकल मंगल हो साधन॥
रोग-क्लेश, पीड़ा हरो, विद्या-बुद्धि बढ़ाओ।
शत्रु, समस्त भय हरो, मंगल मूर्ति विराजो॥
रूद्र रूप धर, दानव दलन, आप विनाशक दुष्ट।
शत्रु नाश, भय निवारण, मंगल भव भय हर्ता॥
धीर, वीर, मंगल रूप, संकट में संगी।
मंगलग्रह की कृपा से, सब मनोरथ पूर हो॥
शिव के चरणों में शीश नवायें, सुर मुनिजन वन्दित।
मंगल ग्रह कृपा करें, भक्त जीवन सफल हो॥
विघ्न, विपत्ति, संकट हरो, शुभ मंगल करि।
मंगल चालीसा जो पढ़े, सब संकट से मुक्त हो॥
॥दोहा॥
जय-जय मंगल मोर, कृपा करो गुरु देव।
संकट सब हर हरो, करि मंगल सदा सेव॥
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मंगल चालीसा का पाठ करने के नियम क्या है?
- मंगलवार के दिन हनुमान जी को समर्पित मंगल चालीसा का पाठ करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और मंगल ग्रह से जुड़े दोष शांत होते हैं।
- पाठ हमेशा मंगलवार के दिन शुरू करें। आप सुबह स्नान के बाद या शाम को कर सकते हैं।
- पाठ शुरू करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर लाल आसन बिछाएं और अपना मुख पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर रखें।
- पाठ शुरू करने से पहले हाथ में जल लेकर अपनी इच्छा बोलें। पूजा की जगह पर गाय के घी का दीपक जलाएं।
- पहले भगवान गणेश, माता सीता, भगवान राम और लक्ष्मण जी का ध्यान करें। इसके बाद हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें लाल फूल, सिंदूर, और गुड़-चना का भोग लगाएं।
- पाठ पूरा होने के बाद हनुमान जी की आरती करें और प्रसाद सभी को बांट दें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 24 November 2025 at 23:42 IST