अपडेटेड 20 September 2025 at 10:56 IST
Surya Grahan 2025: एक पाख दो गहना, राजा मरे या सेना... पितृपक्ष के पहले दिन भी था ग्रहण, अब आखिरी दिन भी रहेगा 'काला साया'; क्या हैं मायने?
Surya Grahan 2025: क्या आपने गौर किया इस साल पितृपक्ष की शुरुआत चंद्रग्रहण से हुई और इसका समापन सूर्यग्रहण से होने जा रहा है। अब ऐसे में यह किस बात का संकेत है? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Surya Grahan 2025: पितृपक्ष जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, 16 दिनों का वह समय होता है जब हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। इस दौरान सूर्य और चंद्रमा विशेष नक्षत्रों में होते हैं, जिससे आत्माओं की शांति के लिए यह समय उपयुक्त माना जाता है। अब जब पितृपक्ष के शुरुआत और अंत दोनों पर पर सूर्य ग्रहण पड़ रहा है, तो इसे केवल संयोग नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे गहरा आध्यात्मिक और ज्योतिषीय संकेत कहा जा रहा है। आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
‘राजा मरे या सेना’ इसका क्या मतलब है?
ज्योतिष के अनुसार, जब एक पक्ष में दो ग्रहण होते हैं, तो यह अस्थिरता, बिगड़े हालात या किसी की मृत्यु का संकेत देता है। भारत की पुरानी कहावत 'एक पाख दो ग्रहण, राजा मरे या सेना” इसी संदर्भ में कही जाती है। इसका अर्थ है कि जब इतने अल्प समय में दो ग्रहण पड़ें, तो ये बड़ी उथल-पुथल संभव है।
चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण से घटती हैं ये चीजें
ग्रहण की वजह से प्राकृतिक आपदा आती है जैसे बादल फटना, भूकंप आना, बाढ़ का आना, समुद्री तुफान, जल की वजह से तबाही देखने को मिलती है. वहीं सूर्य ग्रहण की वजह से आग संबंधित दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं।
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कन्या राशि में सूर्य ग्रहण
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लग रहा है। ये भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए आप इस दिन श्राद्ध बिना किसी चिंता के कर सकते हैं।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप
अगर आप सर्वपितृ अमावस्या के अशुभ प्रभावों से बचना चाहते हैं तो इस दिन पितरों के निमित्त मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें। इससे उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है और जीवन में चल रही समस्याओं से भी छुटकारा मिल सकता है।
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- ऊं पितृ देवतायै नमः
- ऊं पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्
- ऊं देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।
Published By : Aarya Pandey
पब्लिश्ड 20 September 2025 at 10:21 IST