अपडेटेड 3 February 2024 at 13:40 IST

Somwar Vrat: कब और कैसे शुरू करें 16 सोमवार का व्रत, मिलते हैं क्या फायदे? जाने यहां

Somwar Vrat ke Fayde : सोमवार का व्रत करने से शिव साधक के सारे कष्ट दूर होते हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस व्रत को कब और कैसे शुरू करें।

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अगर आप सोमवार का व्रत रख रहे हैं, तो भगवान शिव का जलाभिषेक जरुर करें। साथ ही देवी पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं। | Image: shutterstock

Somwar Vrat Kab Aur Kaise Kare: सप्ताह की शुरुआत सोमवार के साथ होती है।  इस दिन को भगवान शंकर का दिन माना जाता है। मान्यता है कि जो कुंवारी कन्याएं भगवान शिव के लगातार 16 सोमवार व्रत रहती हैं और विधि-विधान से उनकी पूजा अर्चना करती हैं उन्हें भगवान शंकर इच्छित वर और उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि सोमवार का व्रत करने से शिव साधक के सारे कष्ट दूर होते हैं और उनकी कामनाएं जल्द ही पूरी होती हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस व्रत को कब और कैसे शुरू करना चाहिए और पूजा विधि क्या है। तो चलिए इसके बारे में जानते हैं।

कब से शुरू करें सोमवार का व्रत?

वैसे तो 16 सोमवार का व्रत सावन माह के किसी भी सोमवार से शुरू कर सकते हैं, लेकिन अगर आप किसी कारणवश श्रावण मास से इस व्रत को न शुरू कर सकें तो आप इसे चैत्र, वैशाख, कार्तिक और मार्गशीर्ष के महीने में भी उठा सकते हैं। 16 सोमवार का व्रत हमेशा इन महीनों के शुक्लपक्ष के पहले सोमवार से शुरू करना अत्यंत ही शुभ माना गया है।

सोमवार का व्रत कैसे करना चाहिए क्या है पूजा विधि?

  • अगर आप सोमवार का व्रत करने जा रहे हैं, तो इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूरे घर की साफ-सफाई करें और फिर नहा-धोकर स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • फिर पूरे घर में गंगा जल या पवित्र जल का छिड़काव करें। 
  • इसके बाद घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या फोटो को स्थापित करें।
  • फिर पूजन की तैयारी के बाद व्रत का संकल्प लें। 
  • फिर विधिवत शिव और पार्वती की पूजा करें और उनकी पसंद का भोग लगाएं।
  • आखिरी में शिव आरती करके प्रसाद बांट दें। 

सोमवार व्रत का लाभ क्या है?

  • भगवान शिव को समर्पित सोमवार का व्रत रखने से मनुष्य की दुःख और चिंताएं दूर होती हैं और शरीर के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • इसके अलावा इस व्रत को करने से कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।
  • कुंवारी लड़कियां द्वारा इस व्रत को करने से उनको मनोकूल जीवन साथी मिलता है वही सुहागन महिलाओं का सौभाग्य अखंड रहता है, घर में सुख-शांति बनी रहती है।  

Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 3 February 2024 at 13:35 IST