अपडेटेड 2 April 2024 at 08:06 IST

Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी व्रत आज, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Sheetala Saptami: शीतला अष्टमी के दिन आप इस शुभ मुहूर्त में विशेष पूजा विधि के साथ माता की पूजा कर सकते हैं।

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Nivedita Enclave, Paschim Vihar (New Delhi)
शीतला अष्टमी 2024 | Image: X

Sheetala Ashtami 2024: हर साल चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है। यह तिथि होली के ठीक आठ दिन बाद पड़ती है। हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का बेहद खास महत्व होता है। शीतला अष्टमी को बसौड़ा या बसोड़ा भी कहा जाता है। इस दिन मुख्य रूप से माता शीतला की पूजा की जाती है।

वहीं, इस बार सोमवार के दिन सप्तमी है और मंगलवार के दिन अष्टमी पड़ रही है। ऐसे में आज यानी मंगलवार, 2 अप्रैल के दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जा रहा है। मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूरे विधि विधान से पूजा करता है तो उसे कई बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही घर में सुख-शांति भी बनी रहती है।

शीतला अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त (Auspicious time for worship on Sheetala Ashtami)

अष्टमी तिथि की शुरुआत 1 अप्रैल को रात 9 बजकर 9 मिनट से शुरू हुई थी जिसका समापन 2 अप्रैल को रात 8 बजकर 8 मिनट पर होगा। ऐसे में अगर शीतला अष्टमी के पूजा मुहूर्त की बात की जाए तो 2 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 56 मिनट से शाम 6 बजकर 24 मिनट तक पूजा करना शुभ रहेगा। यानी कि आप शीतला अष्टमी के दिन 12 घंटे 28 मिनट के भीतर कभी भी शतीला मैया की पूजा कर सकते हैं।

शीतला अष्टमी पर ऐसे करें पूजा (Sheetala Ashtami Puja Vidhi)

  • शीतला अष्टमी, बसौड़ा या बसोड़ा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • अब पूजा के लिए दो थालियां तैयार करें। जिसमें एक थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, नमक पारे, मातृ और सप्तमी के दिन बने बासी मीठे चावल रख दें।
  • वहीं दूसरी थाली में आटे का दीपक बनाकर रोली, वस्त्र, अक्षत, सिक्के, मेहंदी और एक लोटा ठंडा पानी रखें।
  • घर में बिना दीपक जलाए माता शीतला की पूजा करें और उन्हें पहली थाली में रखी सभी चीजों का भोग लगाएं।
  • अब दूसरी थाली में रखा ठंडा जल नीम के पेड़ की जड़ में अर्पित करें।
  • इसके बाद दोपहर में मंदिर जाकर एक शीतला माता की पूजा करें।
  • माता को जल अर्पित करने के बाद रोली और हल्दी का टीका लगाएं।
  • शीतला माता को मेहंदी और नए वस्त्र अर्पित करें।
  • इसके बाद माता को बासी भोजन का भोग लगाकर उनकी आरती करें। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 2 April 2024 at 07:53 IST