अपडेटेड 6 October 2024 at 07:17 IST

Navratri Day 4: चौथे दिन इस मुहूर्त में करें मां कुष्मांडा की उपासना, जानिए प्रिय भोग और पूजन विधि

Maa Kushmanda ki puja: अगर आप मां कुष्मांडा की उपासना करने जा रहे हैं तो आपको पूजा का शुभ मुहूर्त नोट कर लेना चाहिए।

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मां कुष्मांडा की पूजा | Image: freepik

Maa Kushmanda ki puja muhurat: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के चौथे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा की जाती है। मां कूष्मांडा को सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है। माना जाता है कि अगर कोई भक्त मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) की पूजा अर्चना करता है तो मां उसके सभी प्रकार के दुख-दर्द का नाश करती हैं।

ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि मां कूष्मांडा आप पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें तो आपको मां की पूजा शुभ मुहूर्त में और सही पूजन विधि के साथ करनी चाहिए। आइए जानते हैं मां कुष्मांडा की पूजा का मुहूर्त और सही पूजन विधि क्या है।

मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त (Maa Kushmanda ki puja muhurat)

पंचांग के अनुसार मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक का समय था। इसके साथ ही विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से दोपहर 02 बजकर 53 मिनट तक है। वहीं, गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 03 मिनट से 06 बजकर 28 मिनट तक रहेगा और निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इनमें से किसी भी मुहूर्त में आप देवी कुष्मांडा की पूजा कर सकते हैं।

मां कुष्मांडा का प्रिय भोग (Maa Kushmanda Bhog)

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन आप मां कुष्मांडा को देसी घी से बने शुद्ध मालपुआ का भोग लगा सकते हैं। यह भोग देवी मां को अति प्रिय है।

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मां कुष्मांडा की पूजा विधि Maa Kushmanda ki puja vidhi

  • शारदीय नवरात्र के चौथे दिन जल्दी उठकर मां कुष्मांडा का ध्यान करें।
  • फिर नहाकर और दैनिक कार्यों से निवृत होकर साफ व पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  • अब माता की पूजा के लिए पूजन सामग्री फल, फूल, धूप, दीप, हल्दी, चंदन, कुमकुम आदि को एकत्रित करें और माता को समर्पित करें।
  • इसके बाद माता के समक्ष दीपक जलाकर मां की आरती करें।
  • मां कुष्मांडा की पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करते रहें।
  • पूजा के दौरान मां कुष्मांडा की व्रत कथा का पाठ जरूर करें।
  • अब मां कुष्मांडा को उनका प्रिय भोग मालपुआ अर्पित करें। फिर इसे परिवार के साथ बाटें।
  • आखिर में मां से सुख-शांति की प्राप्ति की कामना करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 6 October 2024 at 07:17 IST