अपडेटेड 8 October 2024 at 08:16 IST
Navratri 6th Day Maa Katyayani: मां कात्यायनी के स्तोत्र और चालीसा पढ़ें यहां
Shardiya Navratri 2024 6th Day Maa Katyayani: आप मां कात्यायनी के कौन-से स्तोत्र और चालीसा का पाठ कर सकते हैं, जानते हैं इस लेख के माध्यम से...
- धर्म और अध्यात्म
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Shardiya Navratri 2024 6th Day Maa Katyayani: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है। इस दिन भक्तजन उन्हें प्रसन्न करने के लिए ना जानें कौन-कौन से नियमों को अपनाते हैं। यदि आप भी मां कात्यायनी देवी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो यहां दी गई चालीसा आपके काम आ सकती है। इसके अलावा आप मां कात्यायनी के स्तोत्रों का भी पाठ कर सकते हैं।
आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मां कात्यायनी के कौन-से स्तोत्र और चालीसा का पाठ कर सकते हैं। पढ़ते हैं आगे…
विन्ध्येश्वरी चालीसा (Vindeshwari/Maa Katyayani chalisa)
॥ दोहा ॥
नमो नमो विन्ध्येश्वरी,नमो नमो जगदम्ब।
सन्तजनों के काज में,माँ करती नहीं विलम्ब॥
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॥ चौपाई ॥
जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदि शक्ति जग विदित भवानी॥
सिंहवाहिनी जै जग माता। जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥
कष्ट निवारिनी जय जग देवी। जय जय जय जय असुरासुर सेवी॥
महिमा अमित अपार तुम्हारी। शेष सहस मुख वर्णत हारी॥
दीनन के दुःख हरत भवानी। नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी॥
सब कर मनसा पुरवत माता। महिमा अमित जगत विख्याता॥
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै। सो तुरतहि वांछित फल पावै॥
तू ही वैष्णवी तू ही रुद्राणी। तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी॥
रमा राधिका शामा काली। तू ही मात सन्तन प्रतिपाली॥
उमा माधवी चण्डी ज्वाला। बेगि मोहि पर होहु दयाला॥
तू ही हिंगलाज महारानी। तू ही शीतला अरु विज्ञानी॥
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता। तू ही लक्श्मी जग सुखदाता॥
तू ही जान्हवी अरु उत्रानी। हेमावती अम्बे निर्वानी॥
अष्टभुजी वाराहिनी देवी। करत विष्णु शिव जाकर सेवी॥
चोंसट्ठी देवी कल्यानी। गौरी मंगला सब गुण खानी॥
पाटन मुम्बा दन्त कुमारी।भद्रकाली सुन विनय हमारी॥
वज्रधारिणी शोक नाशिनी। आयु रक्शिणी विन्ध्यवासिनी॥
जया और विजया बैताली। मातु सुगन्धा अरु विकराली॥
नाम अनन्त तुम्हार भवानी। बरनैं किमि मानुष अज्ञानी॥
जा पर कृपा मातु तव होई। तो वह करै चहै मन जोई॥
कृपा करहु मो पर महारानी। सिद्धि करिय अम्बे मम बानी॥
जो नर धरै मातु कर ध्याना। ताकर सदा होय कल्याना॥
विपत्ति ताहि सपनेहु नहिं आवै। जो देवी कर जाप करावै॥
जो नर कहं ऋण होय अपारा। सो नर पाठ करै शत बारा॥
निश्चय ऋण मोचन होई जाई। जो नर पाठ करै मन लाई॥
अस्तुति जो नर पढ़े पढ़ावे। या जग में सो बहु सुख पावै॥
जाको व्याधि सतावै भाई। जाप करत सब दूरि पराई॥
जो नर अति बन्दी महं होई। बार हजार पाठ कर सोई॥
निश्चय बन्दी ते छुटि जाई। सत्य बचन मम मानहु भाई॥
जा पर जो कछु संकट होई। निश्चय देबिहि सुमिरै सोई॥
जो नर पुत्र होय नहिं भाई। सो नर या विधि करे उपाई॥
पांच वर्ष सो पाठ करावै। नौरातर में विप्र जिमावै॥
निश्चय होय प्रसन्न भवानी। पुत्र देहि ताकहं गुण खानी॥
ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै। विधि समेत पूजन करवावै॥
नित प्रति पाठ करै मन लाई। प्रेम सहित नहिं आन उपाई॥
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा। रंक पढ़त होवे अवनीसा॥
यह जनि अचरज मानहु भाई। कृपा दृष्टि तापर होई जाई॥
जय जय जय जगमातु भवानी। कृपा करहु मो पर जन जानी॥
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मां कात्यायनी के स्तोत्र (Maa Katyayani stotra)
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 8 October 2024 at 08:16 IST