अपडेटेड 26 September 2025 at 11:54 IST
Sharad Purnima 2025: 6 या 7 अक्टूबर... चंद्रमा की किरणों से कब बरसेगा अमृत? यहां पढ़िए शरद पूर्णिमा की शुभ तिथि, मुहूर्त और पूजा का महत्व
Sharad Purnima 2025: हिंदू पंचांग में सभी तिथियों को शुभ माना जाता है। वहीं अक्टूबर महीने में शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। अब ऐसे में शुभ तिथि और मुहूर्त क्या है? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
- 2 min read

Sharad Purnima 2025: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की चाल से इस प्रभाव तिथियों पर भी होती है। इससे तिथियों में बदलाव होता है। वहीं पंचांग के हिसाब से आश्विन माह में शरद पूर्णिमा का व्रत रखने का विधान है। हिंदू धर्म में इस व्रत को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और पृथ्वी पर अमृत की वर्षा होती है।
इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इतना ही नहीं, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी गोपियों के साथ निधिवन में नृत्य करते हैं। इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने का विधान है और फिर अगले दिन खाने का विधान है। क्योंकि उस खीर को अमृत के समान माना जाता है।
अब ऐसे में इस साल शरद पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा?
हिंदू पंचांग के हिसाब से इस साल शरद पूर्णिमा का वत आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को रखा जाएगा। इसलिए यह व्रत 06 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा।
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत- 06 अक्टूबर 2025, सुबह 11 बजकर 02 मिनट से
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 07 अक्टूबर 2025, दोपहर 01 बजकर 37 मिनट पर
Advertisement
शरद पूर्णिमा की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
चन्द्रोदय का समय शाम 05 बजकर 27 मिनट से है। इसी रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर अमृत वर्षा करता है, इसलिए शरद पूर्णिमा का पर्व 06 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा और पूजा-अर्चना मुख्य रूप से इसी दिन की जाएगी।
Advertisement
शरद पूर्णिमा के दिन पूजा का महत्व क्या है?
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। जिसका मतलब है कौन जाग रहा है? ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन रात को देवी महालक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। इसलिए इस दिन भक्त रात्रि में जागते हैं और मां लक्ष्मी के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रात्रि में
चांद की किरणों से खीर में अमृत का रस घुल जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस खीर को खाने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है और जीवन में सुख-शांति और समद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
Published By : Aarya Pandey
पब्लिश्ड 26 September 2025 at 11:54 IST